‘हवा हवाई’ को अमोल गुप्ते ने निर्देशित किया है, जिस ने आमिर खान की फिल्म ‘तारे जमीं पर’ को निर्देशित करने की जिम्मेदारी उठाई थी, मगर बीच में ही आमिर खान ने अपनी इस फिल्म को खुद ही निर्देशित करने का फैसला कर लिया था. इस के बाद अमोल गुप्ते ने अपने बेटे को ले कर ‘स्टेनले का डिब्बा’ फिल्म बनाई. कम बजट में बनी इस फिल्म को खूब सराहा गया.

‘हवा हवाई’ की कहानी व पटकथा भी अमोल गुप्ते ने लिखी है. इस फिल्म में भी उस ने अपने बेटे पार्थो गुप्ते को बतौर हीरो चुना है. अमोल गुप्ते की यह फिल्म सिर्फ स्केटिंग के खेल की ही बात नहीं करती, इस फिल्म में सामाजिक विषमताओं को भी दर्शाया गया है. फिल्म में एक तरफ 25 से 50-50 हजार रुपए तक के महंगे स्केट्स पहन कर स्केटिंग सीखने आ रहे अमीर बच्चों को दिखाया गया है तो दूसरी तरफ ऐसे बच्चों को भी दिखाया गया है जो या तो कचरा बीनते हैं, कारखाने में काम करते हैं या 16-16 घंटे चाय की दुकानों पर लोगों को चाय पिलाने और झूठे बरतन साफ करने का काम करते हैं. ऐसे बच्चों का वजूद मानो खत्म सा हो जाता है.

ऐसा नहीं है कि उन के सपने नहीं हैं, उन के भी सपने होते हैं. वे भी उन अमीर बच्चों की तरह बनना चाहते हैं, मगर समाज में अमीरगरीब की जो दीवार है, वह उन के आगे बढ़ने में बाधक बनती है. निर्देशक ने अपनी इस फिल्म में इन मुद्दों को भी संजीदगी से उठाया है. कमर्शियली यह फिल्म भले ही हिट या सुपरहिट न हो लेकिन फिल्म को सराहना जरूर मिलेगी.

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