यह पीरियड फिल्म मराठी उपन्यासकार एन एस इनामदार के उपन्यास ‘राऊ’ पर आधारित है. संजय लीला भंसाली ने फिल्म को बनाने में 12 साल का वक्त लगाया. फिल्म बनाने से पहले उन्होंने इस ऐतिहासिक कहानी पर काफी रिसर्च की. लेकिन फिल्म बनाते वक्त उन्होंने काफी लिबर्टी ली है और बाजीराव पेशवा के किरदार को गढ़ने में काफी कुछ बदलाव किए हैं. उन्होंने फिल्म में महाराष्ट्रियन कल्चर को खूबसूरती से दिखाते हुए बाजीराव पेशवा के फिल्मी किरदार को जीवंत कर दिया है.

संजय लीला भंसाली अपनी फिल्मों में महंगे और आलीशान सैट्स लगाने व उन्हें भव्यता देने के लिए जाने जाते हैं. इस से पहले गुजराती पृष्ठभूमि पर बनी उन की फिल्म ‘हम दिल दे चुके सनम’ के भव्य सैट काफी आकर्षक रहे थे.

‘बाजीराव मस्तानी’ एक प्रेम कहानी है. यह प्रेम या इश्क आज के जमाने का नहीं है. यह इश्क है अनारकलीसलीम जैसा, जिसे जिंदा चिनवा दिया गया, यह प्रेम है शीरींफरहाद जैसा, यह प्रेम है लैलामजनू जैसा. इस फिल्म में बाजीराव की प्रेमिका मस्तानी को भी अनारकली की तरह कैद किया जाता है. संजय लीला भंसाली ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि इश्क या प्रेम का कोई धर्म नहीं होता.

फिल्म की कहानी 17वीं शताब्दी की है. मराठा साम्राज्य का महान योद्धा पेशवा बाजीराव (रणवीर सिंह) अपने साम्राज्य का विस्तार करने में लगा हुआ था. उस की शादी काशीबाई (प्रियंका चोपड़ा) से हुई थी. एक दिन उस का सामना बुंदेलखंड के राजा छत्रसाल (बेंजामिन गिलानी) की बेटी मस्तानी (दीपिका पादुकोण) से होता है. मस्तानी सुंदर तो है ही, तलवारबाजी और युद्धकौशल में भी पारंगत है. वह बाजीराव से मदद लेने आई है ताकि अपने राज्य को मुगल आक्रमणकारियों से बचा सके. बाजीराव लावलश्कर के साथ बुंदेलखंड जाता है और मुगल आक्रमणकारियों को खदेड़ देता है. युद्ध के दौरान बाजीराव और मस्तानी एकदूसरे के करीब आते हैं और मस्तानी बाजीराव से इश्क कर बैठती है. जातेजाते बाजीराव अपनी कटार मस्तानी को दे जाता है. मस्तानी मुसलिम राजपूत राजकुमारी है, जिन का विवाह कटार से भी होता था.

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