फिल्म एअरलिफ्ट अक्षय कुमार की चिरपरिचित खिलाड़ीनुमा फिल्मों से कुछ अलग है. यह एक गंभीर फिल्म है और दर्शकों के दिलोदिमाग पर अपना असर छोड़ जाती है, साथ ही स्वार्थ को छोड़ कर अपने देश, देशवासियों के प्रति जज्बे को जगाती है. फिल्म सच्ची घटना पर आधारित है. 1990 में इराक द्वारा कुवैत पर हमला करने के बाद 1 लाख 70 हजार भारतीय कुवैत में फंस गए थे. उन के बिजनैस चौपट हो गए थे, उन के मकान, साजोसामान सब इराकी फौजियों द्वारा नष्ट कर दिए गए थे. कुवैत का शाही परिवार रातोंरात भाग कर वहां से सऊदी अरब चला गया था. भारतीय दूतावास से इन भारतीयों को कोई मदद नहीं मिल पा रही थी. ऐसी मुश्किल घड़ी में कुवैत के एक बिजनैसमैन रंजीत कत्याल (अक्षय कुमार) ने अपने परिवार की परवा न करते हुए उन 1 लाख 70 हजार भारतीयों को वहां से निकालने में मदद की और उन्हें जौर्डन के शहर ओमान तक सुरक्षित पहुंचा कर एअरलिफ्ट कराया.

1990 के इस एअरलिफ्ट अभियान को दुनिया का सब से बड़ा रेस्क्यू अभियान माना जाता है. उस वक्त इंद्र कुमार गुजराल भारत के विदेश मंत्री थे. उन के दखल के बाद ही भारतीयों को कुवैत से निकालने में मदद मिली. निर्देशक राजा कृष्णमेनन ने भारतीय सरकारी तंत्र की पोल खोली है. विदेश मंत्रालय में कार्यरत बाबू कितने गैरजिम्मेदार हैं, साथ ही मंत्री इतनी बड़ी समस्या को बजाय सुलझाने के किस तरह टालमटोल करते हैं, इस का सही खाका फिल्म में खींचा गया है.

फिल्म की सच्ची कहानी ही फिल्म की विशेषता है. फिल्म की यह कहानी कुछकुछ हौलीवुड फिल्म ‘सिंडलर्स लिस्ट’ से मिलतीजुलती है. ‘सिंडलर्स लिस्ट’ की कहानी भी सच्ची घटना पर आधारित थी. इस फिल्म में भी एक जरमन व्यापारी कई यहूदियों को नाजी सैनिकों के अत्याचार से बचाता है और 1 हजार से ज्यादा लोगों को वहां से निकालने में सफल होता है. फिल्म की कहानी में देशभक्ति है. फिल्म में संदेश है कि यह मत सोचो कि देश ने आप के लिए क्या किया, यह सोचो कि आप ने देश के लिए क्या किया.

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