फिल्म ‘‘सेवन आवर्स टू गो’’ देखते हुए पहला अहसास यही होता है कि फिल्मकार सौरभ वर्मा शायद भूल गए कि वह थ्रिलर फिल्म बना रहे हैं या हास्य फिल्म. रहस्य व रोमांच प्रधान फिल्म ‘‘सेवन आवर्स टू गो’ की कहानी अर्जुन राणावत से शुरू होती है. काम की तलाश में मुंबई पहुंचे अर्जुन राणावत (शिव पंडित) अपनी प्रेमिका माया (नताशा स्टानकोविक) की हत्या होते अपनी आंखों के सामने देखता है. अपनी प्रेमिका के हत्यारे कबीर खेमका (रोहित वीर) से बदला लेने के लिए वह हाई कोर्ट की इमारत में सात लोगों को बंदी बना लेता है और फिर स्थानीय पुलिस एसीपी रमेष धड़के (वरूण वडोला) से कहता है कि वह नई मुंबई की पुलिस अफसर एसीपी नंदिनी शुक्ला (संदीपा धर) को बुलाए.

नंदिनी शुक्ला निडर व ईमानदार पुलिस अफसर है. वह  किसी भी अपराधी को भी बख्शने में यकीन नहीं करती. अर्जुन, एसीपी नंदिनी शुक्ला को सात बंधकों को छुड़ाने के लिए सात घंटे का समय देता है. इन सात घंटों में नंदिनी को कबीर के खिलाफ सबूत इकट्ठे करके देने है. अर्जुन अपनी इस हरकत से पूरी पुलिस फोर्स को दूसरी जगह व्यस्त रखकर मौका पाकर हाईकोर्ट की इमारत से कबीर की अति सुरक्षित इमारत में सेंध लगाकर एक हार्ड डिस्क चुराना है, जिसमें कबीर के सारे काले कारनामें दर्ज हैं.

इसी के चलते नंदिनी जब जांच शुरू करती है, तो उसे गलत दिशा की ओर अर्जुन मोड़ता रहता है. अंततः अर्जुन अपने मकसद में कामयाब हो जाता है. कबीर गिरफ्तार हो जाता है और पता चलता है कि अर्जुन द्वारा बंधक बनाए गए सात लोगों के अलावा पुलिस एसीपी रमेश धड़के सहित सभी लोग अर्जुन की इस योजना का हिस्सा बनकर ही काम कर रहे थे. क्योंकि सभी कबीर से त्रस्त थे. पर इस शक्तिशाली इंसान से भिड़ने की हिम्मत किसी में नहीं थी.

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