कोई भी स्त्री तब और निखर उठती है, जब कोई उसकी खूबसूरती की तारीफ करने वाला हो. कोई उसकी छोटी-छोटी जरूरतों का खयाल रखने वाला हो. अगर वह अपने साथी के लिए कुछ करे तो वह उसे नोटिस करे. जब साथी इन बातों का खयाल रखता है तो दांपत्य जीवन खुशियों से महक उठता है. आज सुबह से ही मन कुछ उदास था, न जाने किस सोच में गुम थी. पिछले काफी समय से मैं सोच रही थी कि हमारी शादी में कुछ कमी सी है लेकिन तभी मोबाइल पर आए एक मेसेज ने जिंदगी में छाई सारी निराशाओं को पल भर में मानो दूर भगा दिया और मेरे मन में एकाएक नई उमंगें तैरने लगीं. इसमें लिखा था, 'जानेमन कैसी हो? तुम्हारा दिन कैसा बीत रहा है?' उदासी में डूबा दिन जरा से इक मेसेज से खुशनुमा हो उठा. मन में शाम की कई प्लैनिंग चलने लगीं. मैंने आईने में खुद को देखा. वाकई मैं खुश ही थी और इसकी चमक मेरे चेहरे पर दिख रही थी. मैंने पूरी गर्मजोशी से मेसेज का जवाब दिया.

क्या चाहती हैं स्त्रियां

अकसर पुरुष सोचते हैं कि स्त्रियों को खुश करना बडा मुश्किल है, लेकिन वे नहींजानते कि उनकी जीवनसंगिनी खुश होने के लिए बेशकीमती तोहफा नहीं चाहती, उसे तो प्यार से दी गई एक कैंडी भी खुश कर सकती है. लंबे से मेल के बजाय प्यार में डूबी छोटी सी पंक्ति भी जीवनसाथी को प्रसन्न कर सकती है. बस इस पर ध्यान देने की जरूरत है.

समझो न मन की बात

हम जिस दौर में जी रहे हैं, वह स्त्री-पुरुष की बराबरी वाला दौर है. यहां स्त्रियां ऑफिस में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही हैं. पुरुष थोडा कंफ्यूज है. उसे समझ नहींआ रहा कि समानता की बात करने वाली, हर फील्ड में बराबर दखल रखने वाली स्त्री क्यों चाहती है कि पुरुष उनके लिए गाडी का दरवाजा खोले या फिर उनका भारी सामान उठाने में उनकी मदद करे. अगर स्त्रियां समानता की बात करती हैं तो उन्हें इस तरह की इच्छा करने का क्या हक है! कई बार स्त्रियों की छोटी-छोटी इच्छाओं को पुरुष समझ नहीं पाते और उनकी यही बात स्त्रियों को खलती है.

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