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हमारी पहली मुलाकात मेरी 14वीं सालगिरह के समारोह में हमारे घर में हुई थी. मेरे मनपसंद गुलाबी रंग में वे एक खूबसूरत ड्रैस मेरे लिए उपहार में लाई थीं. मीना आंटी को धन्यवाद देते हुए मैं ने प्रसन्नता व्यक्त की और कहा, ‘‘बड़े दिनों से ऐसी ड्रैस पहनने की इच्छा थी मेरी. आप को किस ने बताया कि गुलाबी रंग मेरा पसंदीदा रंग है?’’

‘‘तुम्हारे पापा ने. तुम्हें उपहार पसंद आया, इस बात की मुझे खुशी है, कविता,’’ एक बार मेरा गाल प्यार से थपथपा कर वे दूसरे मेहमानों से बातें करने लगी थीं.

मैं ने ही नहीं, मुझ से 3 साल छोटे मेरे भाई सुमित ने भी उस पहली मुलाकात में मीना आंटी को पसंद कर लिया था. वे सुमित के लिए स्केट्स का जोड़ा ले कर आई थीं. अब वह घरबाहर दिनरात स्केटिंग करते हुए मीना आंटी के गुण गाता रहता.

मीना आंटी पापा के औफिस में काम करती थीं. उन की उम्र हमारी पहली मुलाकात के वक्त करीब 35 वर्ष की रही होगी. उन का रंग गेहुआं और नैननक्श साधारण थे. आंखों में एक चमक हर वक्त मौजूद रहती थी.

उन के साधारण रंगरूप को अत्यधिक प्रभावशाली उन का धीरगंभीर व्यक्तित्व बनाता था. साधारण औरतों की तरह मैं ने उन्हें ज्यादा बोलते कभी नहीं देखा. वे कम बोलती थीं और काम की बातें करती थीं. उन के हावभाव और बोलचाल में भरपूर आत्मविश्वास झलकता था. हलके रंगों की सूती साडि़यां उन के सुगठित शरीर पर बहुत जमती थीं. खूबसूरत न होते हुए भी मीना आंटी के प्रभावशाली व्यक्तित्व से सामने वाला बहुत प्रभावित होता था.

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