कहानी के बाकी भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

करीब 2 महीने पहले रमाकांत का खांसीजुकाम बिगड़ कर निमोनिया में बदल गया था. इलाज के लिए उन्हें अस्पताल में भरती होना पड़ा. वहां डाक्टरों ने पाया कि उन का शुगर व रक्तचाप का स्तर भी बहुत बढ़ा हुआ था. पूरी तरह से ठीक होने के लिए उन्हें महीनाभर अस्पताल में रहना पड़ा.

बीमारी से आई कमजोरी दूर करने के लिए वे मनाली हिल स्टेशन पर रहने चले गए. वहां एक महीने तक स्वास्थ्य लाभ करने के बाद जब वे घर लौटे तो उन्हें अपने घर के लोगों के बदले तेवरों का सामना करना पड़ रहा था.

पत्नी, बेटा और बहू सदा ही उन की आज्ञा का पालन व उन का मानसम्मान करते आए थे. घर आने के 24 घंटे के भीतर ही अब उन्हें ऐसा लगने लगा था मानो उन तीनों ने उन के खिलाफ बगावत का बिगुल बजाने का निर्णय ले लिया था.

एक एक ईंट जोड़ कर उन्होंने अपनी घरगृहस्थी की इमारत बड़ी मेहनत से खड़ी की थी. अपने परिवार के किसी सदस्य का न कभी जानबू?ा कर मन दुखाया था और न ही उन्हें किसी सुखसुविधा की कमी होने दी थी.

वे स्वयं को अभी भी घर का मुखिया सम?ा रहे थे, लेकिन उन के परिवारजनों का रुख साफतौर पर बदल चुका था.

‘अपने परिवार के सदस्यों से जो मानसम्मान उन्हें स्वाभाविक रूप से मिलता रहा था, वह अचानक क्यों नहीं मिल रहा है,’ इस सवाल पर सारी दोपहर माथापच्ची करने के बाद भी वे इस का कोई जवाब नहीं निकाल पाए थे.

अपने मन की उदासी से मुक्ति पाने को वे शाम को पार्क में घूमने चले गए.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...