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दोनों चैल पैलेस पहुंचे. भव्य पैलेस की सुंदरता देख राधिका के मुंह से इतना ही निकला, ‘‘आप ने यहां बुक किया है रूम?’’

‘‘हां, मेरी रानी आज की रात महल में रुकेगी,’’ हंसते हुए अभिरूप ने कहा.

राधिका को भी हंसी आ गई, ‘‘लेकिन यह तो बहुत महंगा होगा, अभि?’’

‘‘तो क्या हुआ? सस्तेमहंगे की चिंता तुम मत करना अब, मैं हूं न. बस, तुम तो मुझे अभि कह कर, मेरा हाथ पकड़ कर जीवन में अब साथ चलती रहो.’’

राधिका ने अभिरूप के कंधे पर सिर रख दिया.

दोनों ने पूरा पैलेस देखा. इस महल को हिमाचल सरकार द्वारा एक फाइवस्टार होटल का रूप दे दिया गया था. बहुत बड़ा सुंदर गार्डन था, जहां सफेद गोल कुरसियां और मेजें रखी थीं. अचानक वहां कई बंदर आ गए. वहां घूमते वेटर ने बताया कि डरने की बात नहीं है. ये किसी को काटते नहीं हैं. राधिका ने कस कर अभिरूप का हाथ पकड़ रखा था. वेटर की बात सुनी तो जान में जान  आई. अभिरूप राधिका के डरे हुए चेहरे का मजा ले रहे थे. हर तरफ देवदार के सुंदर पेड़, खूबसूरत फूलों से सजा पूरा गार्डन. शाम के 5 बज रहे थे. राधिका ने जैसे ही अपने दोनों हाथ समेट कर सीने से लगाए, अभिरूप ने कहा, ‘‘मैं अभी आया,’’ कह कर अभिरूप चले गए, राधिका कुछ समझ नहीं पाईं. कुछ ही पलों में पीछे से राधिका के कंधे पर शौल डालते हुए अभिरूप ने कहा, ‘‘तुम्हें ठंड लग रही थी न, यही लेने गया था रूम से.’’

इस बात पर राधिका की आंखें भर आईं, बोलीं, ‘‘मैं ने कभी नहीं सोचा था कि अब मेरा कोई ध्यान रखेगा, मेरी चिंता करेगा. सच अभि, थक गई थी मैं अकेली रहतेरहते.’’

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