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वह उसे सिर झुकाए जवाब देता, लेकिन एक पल के लिए भी वहां नहीं रुकता था और अपने कमरे में जा कर लेट जाता था. वह बिस्तर पर भी मरजाना के बारे में सोचता रहता था.

मरजाना का व्यवहार सदैव उस के प्रति प्यार भरा होता था. लेकिन अब वह उस की तरफ और भी ज्यादा ध्यान देने लगी थी. एक रात जब वह आया तो मरजाना ने रोज की तरह कहा, ‘‘आ गए...’’

वह कुछ नहीं बोला और खड़ा रहा. दोनों के ही दिल तेजी से धड़क रहे थे. दोनों ने एक अनजानी सी खुशी और डर अपने अंदर महसूस किया. मरजाना ने धीरे से कहा, ‘‘अंदर आ जाओ.’’

वह अंदर आ गया.

मरजाना ने दरवाजा बंद कर के कुंडी लगा दी. फिर भी वह वहीं खड़ा रहा. मरजाना भी वहीं खड़ी उसे निहारती रही. फिर धीरे से बोली, ‘‘जाओ, सो जाओ.’’

वह चला गया, लेकिन मरजाना वहीं खड़ी रही. उस का अंगअंग एक अनोखी मस्ती से बहक रहा था. साथ ही दिल भी एक अनजानी खुशी से भर गया था.

समर गुल अपने कमरे में पहुंचा तो उस की आंखों में खुशी के आंसू आ गए. वह बारबार होंठों ही होंठों में दोहरा रहा था, ‘‘जाओ,सो जाओ.’’

मरजाना का प्यारभरा स्वर उस की आत्मा को झिंझोड़ गया था. वह भावुक हो गया और सिसकियां ले कर रोने लगा. यह खुशी के आंसू थे. उस की हालत एक बच्चे जैसी हो गई थी. उसे यह अहसास डंक मार रहा था कि उस ने किसी की हत्या की है.

वह पहली बार दिल की गहराइयों से अपने किए पर लज्जित था, उस की आत्मा पर पाप का बोझ आ पड़ा था. इस बोझ को उस ने पहले महसूस नहीं किया था, लेकिन प्रेम की अग्नि ने उसे कुंदन बना दिया था. आज वह किसी का दुश्मन नहीं रहा.

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