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‘आकाश को बचपन में ही चुप करा देती थी वह. आज भी उस को बोलते देख जबान बंद हो गई होगी आकाश की. कुछ तो हुआ ही होगा, वरना चक्कर कैसे आ गया अचानक?’

सुनीता के लिए अब इंतजार का पलपल भारी हो रहा था. रसोई में जा कर वह खिचड़ी बनाने लगी, ताकि समय भी बीत जाए और दीपक के आने पर वह उस के पास बैठ पाए.

दरवाजे की घंटी की आवाज सुन वह तेजी से दरवाजे की ओर लपकी. दीपक को सहारा देते हुए आकाश ने मुसकराते हुए अंदर प्रवेश किया. आकाश के पीछेपीछे एक युवती भी थी. फिरोजी शिफोन की साड़ी और गले में उसी रंग की माला, हाथ में क्लच थामे, कंधे तक लहराते रेशमी बालों में वह बेहद आकर्षक लग रही थी. माथे पर छोटी सी बिंदी और बड़ीबड़ी काजल लगी मनमोहक आंखें उस के सांवले चेहरे पर चारचांद लगा रही थीं.

‘क्या यह लाली है?’ सोचते हुए सुनीता को अपनी आंखों पर विश्वास ही नहीं हो रहा था.

‘‘ओह मम्मी, कितने वर्षों बाद मिल रही हूं आप से,’’ कह कर उत्साहित हो लाली सुनीता के पास आ कर खड़ी हो गई.

सब लोग बैडरूम में आ गए. दीपक को सहारा दे कर बिस्तर पर लिटा आकाश और लाली उस के पास बैठ गए.

‘‘मैं ऐप्पल जूस ले कर आती हूं,’’ कहते हुए सुनीता कमरे से निकली तो लाली भी पीछेपीछे हो ली.

‘‘मम्मी, आप बैठिए न पापा के पास. मुझे बताइए क्या करना है,’’ लाली बोली.

‘‘अरे नहीं बेटा, अभी तुम बैठो, मैं आती हूं एक मिनट में,’’ सुनीता का व्यवहार अचानक ही लाली के प्रति नरम हो गया. कुछ देर बाद हाथ में ट्रे थामे सुनीता वापस वहीं आ कर बैठ गई.

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