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‘‘मगर क्या रीमा एक बोझ है? मेरे विचार से तो वह बोझ नहीं है, और आजकल तो लड़के वाले भी चाहते हैं कि लड़की ज्यादा से ज्यादा पढ़ी हो. और जब वह इंजीनियर बन जाएगी, खुद अच्छा कमाएगी तो आप को भी इतनी परेशानी नहीं होगी उस की शादी में,’’ मैं ने अपनी बात कही.

‘‘आप की बात तो सही है, मगर...’’ मिसेज चंद्रा सोचते हुए बोलीं.

मैं उन के इस मगर का अर्थ समझ रहा था किंतु मैं रीमा के सामने नहीं कह सकता था. वह हम लोगों के साथ ही बैठी थी. मैं ने उसे अपने बेटे व उस के भाई के साथ मेरे घर जाने को कहा. वह थोड़ा झिझकी. मैं ने उसे इशारों से आश्वस्त किया तो वह चली गई.

‘‘देखिए, जहां तक मैं समझता हूं आप का और रीमा का सहज संबंध नहीं है. आप लोगों के बीच कुछ तनाव है.’’

मिसेज चंद्रा का चेहरा गुस्से से तमतमा गया.

‘‘देखिए, मेरी बात को आप अन्यथा न लीजिए. यह बहुत सहज बात है. असल में आप दोनों के बीच किसी ने सहज संबंध बनाने का प्रयास ही नहीं किया. आप को उस की खूबसूरती के कारण हमेशा हीनता महसूस होती है. इसीलिए आप उसे हमेशा नीचा दिखाना चाहती हैं, उस की उन्नति नहीं चाहती हैं, मगर क्या यह अच्छा नहीं होता कि आप बजाय उस से जलने के गर्व महसूस करतीं कि आप की एक बहुत ही सुंदर बेटी भी है. उसे एक खूबसूरत तोहफा मानतीं नरेश की पहली पत्नी का. उसे इतना प्यार देतीं, उस की हर बात का खयाल रखतीं कि वह आप को अपनी सगी मां से ज्यादा प्यार, सम्मान देती. अगर आप को कोई परेशानी न हो तो मैं उस की जिम्मेदारी उठाने को तैयार हूं,’’ मैं ने अपनी पत्नी की तरफ देखा तो उस ने भी आंखों ही आंखों में अपनी रजामंदी दे दी.

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