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दीप्ति का उत्साह मर गया था, फिर भी उस ने बताया, ‘‘मेरा ममेरा भाई है. उस की पत्नी कुछ वर्ष पहले मर गई थी. घर में मातापिता और एक बेटी है. सरकारी नौकरी में है. उम्र ज्यादा नहीं है, 34 या 35 साल. बस, कमी इतनी ही है कि वह विधुर है और एक बच्ची का बाप है.’’

कुछ पलों के लिए सन्नाटा पसरा रहा. फिर निकिता ने कहा, ‘‘रिश्ता तो अच्छा है परंतु क्या शिवानी तैयार होगी? पराई मां की बच्ची को अपना कर उसे मां का प्यार दे सकेगी?’’

‘‘परंतु क्या शिवानी की मां ऐसे रिश्ते के लिए तैयार होगी?’’ संजना ने सवाल खड़ा किया.

‘‘इस की मां जब कुंआरे लड़के के साथ शादी नहीं करा रही है तो वह विधुर के साथ शादी के लिए कैसे मान जाएगी,’’ निकिता ने कहा.

‘‘फिर कैसे होगा?’’ संजना ने भौंहें नचा कर पूछा.

शिवानी सब की बातें गौर से सुन रही थी और मन ही मन कुछ बुन रही थी. उस के दिमाग में विचार बहुत तेजी से दौड़ रहे थे. उसे जल्द ही निर्णय लेना होगा वरना एक दिन वह महिला से बूढ़ी स्त्री में बदल जाएगी, तब उस के हाथ में जीवन के सुखमय पल नहीं, बस, सूखी रेत के रसहीन कण होंगे जो उस की आंखों में सदा किरचों की तरह कसकते रहेंगे.

अब उस की आंखें शिवानी के ऊपर टिकी थीं. शिवानी ने ज्यादा देर उन्हें पसोपेश में नहीं रखा. धीमे से बोली, ‘‘मु?ो दीप्ति के कजिन का रिश्ता मंजूर है.’’

सभी हैरान रह गए. शिवानी से ऐसे उत्तर की अपेक्षा किसी ने नहीं की थी. सभी सम?ा रहे थे वह मना कर देगी. सब से ज्यादा आश्चर्य निकिता और संजना को हुआ, तो सब से ज्यादा खुशी दीप्ति को हुई. परंतु वे तीनों नहीं जानती थीं कि भविष्य में पति और मां की दोगुनी खुशियां जो शिवानी को प्राप्त होने वाली थीं उन के बारे में सोच कर वह अभी से रोमांचित और अभिभूत हो रही थी.

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