देश में एकीकृत कर प्रणाली वस्तु एवं सेवा कर यानी जीएसटी संसद के बजट सत्र में पारित किया जा चुका है और कुछ समय बाद यह व्यवस्था पूरे देश में लागू हो जाएगी. देश के आर्थिक विकास की दिशा में इस व्यवस्था को अहम माना जा रहा है. इसे लागू करने से पहले इस के सभी पहलुओं का बारीकी से अध्ययन किया जा रहा है.

जीएसटी नैटवर्क पर सब से बड़ा खतरा साइबर हमले को ले कर जताया जा रहा था लेकिन वित्त मंत्रालय ने स्पष्ट कर दिया है कि साइबर हमले के लिहाज से इसे बहुत सुरक्षित बनाया गया है और इस पर किसी भी तरह का खतरा नहीं है. सरकार का दावा है कि वस्तु एवं सेवा कर नैटवर्क जीएसटीएन को कोई भी साइबर हमला भेद नहीं सकता. इस के लिए सभी जरूरी सुरक्षित उपाय किए गए हैं और देश की सब से बड़ी साइबर सुरक्षा एजेंसी राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा संयोजक एनसीएसएसी तथा अन्य संबंद्ध एजेंसियों के सुझावों के साथ इसे अत्यधिक सुरक्षित बनाया गया है.

मंत्रालय का यह भी दावा है कि इस नैटवर्क से अब तक करीब 49 लाख करदाता जुड़ चुके हैं. सरकार की योजना जीएसटीएन के जरिए 60 लाख करदाताओं को औनलाइन पंजीकरण तथा रिटर्न भरने जैसी सुविधाएं एक ही प्लेटफौर्म पर उपलब्ध कराने की है.

जीएसटीएन को सुरक्षित बनाने का दावा तो ठीक है लेकिन पिछले दिनों जब देश के सब से बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक का डाटा चोरी हो गया था तो उस के बाद से साइबर सुरक्षा पर सवाल उठने लगे थे. लोगों के दिमाग से साइबर हमले का भय अभी कम नहीं हुआ है. यह डर स्वाभाविक है. लोगों की सिर्फएक ही चिंता है कि उन के खाते में किसी तरह की सेंधमारी नहीं हो और कोई डाटा किसी भी स्तर पर लीक नहीं होने पाए.

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