टैक्स यानी कर प्रणाली भारत में इतनी पेचीदा है कि इस में एक ही सामान या सुविधा के लिए अलगअलग राज्यों, ठिकानों व मौकों पर अलगअलग करों का भुगतान करना पड़ता है. ऐसे में जीएसटी के संसद में पास होने के बाद पूरे देश में एकसमान अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था लागू होने पर करों के बोझ व अनियमितता से आम जनता क्या बच पाएगी?  जीएसटी संशोधन बिल को ले कर बहुत होहल्ला मचा. संसद में और संसद से बाहर, मीडिया में यहां तक कि गलीचौराहों में इस को ले कर मैराथन चर्चाएं हुईं. सवाल यह है कि जीएसटी आखिर है क्या बला? सरकार और बड़ेबड़े उद्योगपति इस का बेसब्री से इंतजार क्यों कर रहे थे? संसद से ले कर सड़क तक होती चर्चा के बावजूद इस बारे में आम लोगों को जानकारी कम ही है. जीएसटी पर अभिताभ बच्चन ने अपने ट्विटर अकाउंट पर लिखा, ‘लंबी चर्चा के बाद जीएसटी आखिरकार पास हुआ. पर यह है क्या, पता नहीं.’

वहीं, शाहरुख खान जो खुद इकोनौमिक्स में ग्रैजुएट हैं और 28 साल के बाद डिगरी ली, ने लिखा, ‘मुझे अर्थशास्त्र के मामलों की बहुत ज्यादा जानकारी नहीं है, लेकिन आर्थिक सुधार के लिए यह एक बड़ा कदम है.’ इस के लिए शाहरुख खान ने सब को बधाइयां दीं. जीएसटी यानी गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स (वस्तु व सेवा कर) के लागू हो जाने पर पूरे देश में एकसमान और एक ही तरह की अकेली अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था लागू हो जाएगी. मौजूदा समय में हम बहुत तरह के अप्रत्यक्ष करों यानी सैल्स, एक्साइज, सर्विस आदि टैक्सों के मकड़जाल में फंसे हुए हैं. अलगअलग राज्य में अलगअलग दर से कर वसूले जाते हैं. राज्य द्वारा वसूले जाने वाले स्थानीय प्रवेश कर, विज्ञापन कर, विक्रय कर, चुंगी, वैट व मनोरंजन कर, विलासिता कर, सरचार्ज का अस्तित्व नहीं रहेगा. केंद्र द्वारा वसूला जाने वाला उत्पादन शुल्क, सेवा कर, क्रय कर, आयात शुल्क, सैस और सरचार्ज जैसे बीसियों तरह के टैक्सों का भी सिस्टम खत्म हो जाएगा.

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