हाल ही में ‘सेंटर फौर साइंस ऐंड एनवायरमेंट’ के एक अध्ययन में यह सच सामने आया कि देश में बिकने वाले ब्रेड, बन्स और रेडी टू ईट बर्गर पिज्जा वगैरह में सेहत के लिए खतरनाक कैमिकल्स जैसे पोटैशियम ब्रोमेट और पोटैशियम आयोडेट काफी मात्रा में इस्तेमाल किए जाते हैं, जो कैंसर व थायराइड की वजह बन सकते हैं. इन के 38 पौपुलर ब्रांड्स में से 84% में सैंपल टेस्ट में इन की अधिक मात्रा पाई गई. बाद में करीब एक माह की जांच पड़ताल के बाद फूड सेफ्टी और स्टैंडर्डस औथोरिटी औफ इंडिया द्वारा स्पष्ट तौर पर पोटेशियम ब्रोमेट के प्रयोग पर बैन लगा दिया गया. इसी तरह जून 2015 में एफएसएसए ने उस वक्त मैगी नूडल्स पर पूरी तरह बैन लगा दिया था जब इस के सैंपल्स में लेड की काफी अधिक मात्रा पाई गई थी जबकि लेड सेहत के लिए खतरनाक साबित हो सकता है.

दरअसल उपभोक्ताओं के साथ उत्पादक कंपनियां, विक्रेता, दुकानदार या सेवाप्रदाता कंपनियां वगैरह कई तरह से धोखाधड़ी कर सकती हैं. उन पर वर्णित दोनों मामले जहां उपभोक्ताओं की सेहत से जुडे हैं तो वहीं कई दफा मानसिक या आर्थिक दृष्टि से भी उपभोक्ताओं का शोषण किया जाता है.

हाल ही में कंज्यूमर फ्रौड.कौम में एसबीआई बैंक के ग्राहकों की बैंकिंग जानकारी की धोखाधड़ी से संबंधित एक शिकायत की गई थी जहां पर उन्हें बेवकूफ बना कर उन की डेबिट कार्ड की जानकारी लेने के बाद उन के खाते से पैसे निकाल लिए गए.

कुछ समय पहले एक कंज्यूमर ने एक दुकानदार के खिलाफ केस दर्ज कराया क्योंकि दुकानदार ब्रेड के लिखित एमआरपी से अधिक रकम वसूल रहा था, तो वहीं एक टूर एंड ट्रैवल कंपनी पर इस बात के लिए धोखेधड़ी का केस दर्ज हुआ क्योंकि वह वादा की गई सहूलियतें मुहैया नहीं करा पाया.

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