घर ही एक ऐसी जगह होती है जहां हर व्यक्ति अपनी सारी चिंताओं, परेशानियों को भूल कर कुछ पल सुकून के गुजारता है. पर घर में सुकून के पल तभी मिलेंगे जब आप का घर सुविधाजनक और डिजाइनर होगा. काली कट के डिजाइनर और वास्तुकार सिंधु कृष्णा कुमार कहते हैं, ‘‘आज हर घर डिजाइनर घर है. घर में डिजाइनर फैक्टर असली हीरो है.’’

ईकोफ्रैंडली घर का क्रेज

केरल हमेशा ईकोफ्रैंडली आर्किटैक्चर के लिए आगे रहा है पर कुछ समय से ईकोफ्रैंडली आर्किटैक्चर को पीछे रख कर वैस्टर्न स्टाइल के आर्किटैक्चर की नकल की जाने लगी है. साथ ही इस बात पर भी ध्यान दिया जाता है कि ऐसी संरचनाओं का निर्माण करने से जमीन पर असर न पड़े. बहुत से लोग तो आजकल पुराने व नए जमाने के स्टाइल के फ्यूजन वाले घर बनवा रहे हैं. मगर सब से जरूरी और महत्त्वपूर्ण बात यह है कि आजकल बहुत से लोग विशेषरूप से ऐसे घरों में पैसा लगाना चाहते हैं, जो पर्यावरण की दृष्टि से भी सुरक्षित हों.

कोचीन के वास्तुकार शिंटो वर्गीस कहते हैं कि अब समकालीन शैली केरल पहुंच गई है. यह शैली समय और पैसा बचाने में काफी प्रभावी है. अब यूरोपियन निर्माण शैली में भी केरल एनआरआई संख्या की वजह से काफी आगे है.

जिन डिजाइनों में अधिक ऊर्जा की बचत का विकल्प होता है और जो ईकोफ्रैंडली सामग्री से बने होते हैं, उन का चलन अधिक है. इस बात को मानना होगा कि किसी भी सोसाइटी का आर्किटैक्चर वहां के सांस्कृतिक, राजनीतिक व आर्थिक प्रभावों को दर्शाता है. केरल में एनआरआई का पैसा ही वहां स्टाइल्स का निर्धारण कर रहा है.

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