भारत में पढ़ेलिखे बेरोजगारों की तादाद देखते हुए मानव संसाधन विकास मंत्रालय और लघु उद्योग मंत्रालय ने पिछले कुछ सालों से स्वरोजगार को बढ़ावा देने की अच्छी पहल की है. इस दिशा में कई प्रशिक्षण संस्थान भी खोले गए हैं, जहां बिलकुल मुफ्त प्रशिक्षण दिया जाता है. उन में एक कोर्स है हर्बल कास्मेटिक मैन्यूफैक्चरिंग. हर्बल कास्मेटिक लघु उद्योग का उत्पाद है. इस की मार्केटिंग और एक्सपोर्ट में सरकार कई तरह की सहायता करती है, साथ ही कर्ज भी मुहैया कराती है.

घर में मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट लगा कर कम लागत में अच्छी कमाई की जा सकती है. अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लोग लागत को ले कर काफी सेंसटिव हैं. हमारे देश के लोग भी त्वचा की देखभाल को ले कर सजग हुए हैं. नामीगिरामी स्किन सेंटर खुले हैं, इन में आम बात यह है कि सभी में हर्बल कास्मेटिक की मांग है. हर्बल कास्मेटिक का आधार जड़ीबूटियां हैं और इस में कोई कैमिकल भी नहीं होता. इस के इस्तेमाल से न तो स्किन के खराब होने का डर होता है, न ही रिएक्शन होने का खतरा. भारत में जड़ीबूटियां काफी मात्रा में उपलब्ध हैं, इसलिए यहां हर्बल कास्मेटिक का उत्पादन अपेक्षाकृत आसान व कम लागत में संभव है.

मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट लगाने का खर्च

हर्बल कास्मेटिक मैन्यूफैक्चरिंग का आधार जड़ीबूटियां हैं, जिन में चंदन, हलदी, तुलसी, नीम, एलोवेरा नारियल तेल व लौंग वगैरह का इस्तेमाल किया जाता है. इस कच्चे माल के साथसाथ जरूरी बरतन, गरम करने के लिए गैस और एक कमरे की जरूरत होती है, जहां एक यूनिट लग सके. इन सब मदों में तकरीबन 50 से 75 हजार रुपए तक खर्च आता है.

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