शादी के बाद प्रिया पति के साथ पहली बार दूसरे शहर आई थी. उस के पति का ‘दृष्टि रेजीडैंसी’ में खूबसूरत फ्लैट था. अपने शहर में प्रिया का बड़ा सा परिवार था. त्योहार के दिन सभी एकजुट हो, मिलबांट कर खुशियां मनाते थे. यहां उसे अकेलापन महसूस हो रहा था. जैसेजैसे दीवाली करीब आ रही थी. प्रिया की समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करे? पति प्रकाश से बात करने पर पता चला कि उस के ज्यादातर दोस्त बाहर के रहने वाले हैं. वे लोग पहले से ही घर जाने का टिकट करा चुके हैं.

कुछ लोग हैं जो उस के फ्लैट से दूर रहते थे. प्रिया ने अपने कौंप्लैक्स में रहने वाले कुछ परिवारों से कम दिनों में अच्छी जानपहचान कर ली थी. उस ने उन सब के साथ मिल कर बात की तो पता चला कि कौंप्लैक्स में कुछ परिवार दीवाली मनाते हैं. वे भी अपने फ्लैट के अंदर ही दीवाली मना लेते हैं. बहुत हुआ तो किसी दोस्त को कुछ उपहार दे कर त्योहार मना लेते हैं. अब प्रिया ने तय कर लिया कि इस बार दीवाली को नए तरह से मनाना है. दृष्टि रेजीडैंसी बहुत ही खूबसूरत जगह पर थी. उस के पास में हराभरा पार्क था. प्रिया ने पार्क की देखभाल करने वाले से कह कर पार्क को साफ करा दिया.

इस के बाद उस ने एक खूबसूरत सा दीवाली कार्ड डिजाइन किया. इस के कुछ प्रिंट लिए और अपने कौंप्लैक्स में रहने वालों के लिए चाय, नमकीन और मिठाई का प्रबंध भी कर लिया था. उस ने दृष्टि रेजीडैंसी के सभी 50 फ्लैट के लोगों को बुलाया था. प्रिया को यकीन था कि ज्यादातर लोग आएंगे. शाम को पति प्रकाश के आने पर उस ने अपना पूरा प्लान उन को बताया. पहले तो प्रकाश को यकीन ही नहीं हुआ, लेकिन सारी तैयारियां देख कर उस का मन खुशी से भर गया. प्रकाश ने प्रिया का हाथ बंटाते हुए खुशियों को बढ़ाने के लिए दीवाली के प्रदूषणमुक्त पटाखे और गीतसंगीत के लिए डीजे का भी इंतजाम कर लिया.

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