मध्य प्रदेश में राजगढ़ जिले के बैरियाखेड़ा गांव से हो कर समलपुर के लिए एक सड़क गुजरती है. इसी सड़क के किनारे मदन सिंह मीणा के बेटे के दोमंजिला मकान में नीचे किराने की दुकान है. इस मकान के भीतरी हिस्से में बेटा राम दिनेश मीणा अपनी पत्नी ज्योतिबाई के साथ रहता था. जबकि खुद मदन मीणा गांव के भीतर बने अपने पुश्तैनी मकान में ही रहते थे.

बेहद सर्द रात होने के बावजूद वह हर रोज की तरह 21 जनवरी, 2022 को भी सुबह 4 बजे के करीब सो कर उठ गए थे. नित्य कर्म के बाद घर के बाहर ही खेती का काम निपटाने में लगे हुए थे. तभी उन की बहू ज्योति भागती हुई आई. हांफती हुई कहने लगी, ‘‘पिताजी, अनर्थ हो गया.’’

‘‘क्या हुआ? इतनी सुबहसुबह दौड़ लगाती क्यों आई हो? सब कुछ ठीक है न?’’ मदन सिंह बोले.

घबराई हुई ज्योति बोली, ‘‘पिताजी, उन की हत्या हो गई है.’’

‘‘हत्या? कैसे? किस ने की?’’ मदन सिंह ने चौंकते हुए एक साथ कई सवाल पूछ डाले.

‘‘मैं कुछ नहीं जानती, पिताजी. वह दुकान के पीछे वाले कमरे में सो रहे थे. वहीं उन्हें किसी ने रात को ही मार डाला,’’ ज्योति बोली.

‘‘तुम कहां थी?’’ ससुर मदन मीणा ने पूछा.

‘‘मैं ऊपर के कमरे में सो रही थी. सुबह 4 बजे टौयलेट के लिए नीचे आई, तभी मैं ने उन्हें उस हालत में देखा. उस के बाद ही यहां भागतीभागती आई हूं,’’ ज्योति एक सांस में बोल गई.

‘‘चल मेरे साथ, अभी देखता हूं क्या माजरा है?’’ मदन मीणा बोले और झट से खूंटी पर टंगी अपनी कमीज पहन ली.

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