आमतौर पर मिठाई के बाजार में उस मिठाई को सब से ज्यादा पसंद किया जाता है, जो ज्यादा दिनों तक चल सके यानी जल्दी खराब न हो. चीनी और काजू से तैयार होने वाली काजूकतली ऐसी ही एक मिठाई है. मिठाई के बाजार में आज इसे बेहद पसंद किया जा रहा है. जिन लोगों को मेवों की मिठाई पसंद आती है, पर वे ज्यादा घी पसंद नहीं करते, उन के लिए काजूकतली या काजूबरफी सब से बढि़या होती है.

काजूकतली उत्तर भारत की सब से खास मिठाई है. इसे चांदी के वर्क में लगा कर खाने वालों को दिया जाता है. सूखी मिठाई के रूप में काजूकतली सब से अच्छी होती है. कम वजन होने के कारण यह ज्यादा संख्या में मिल जाती है. इसे बिना किसी खास देखभाल या पैकिंग के कहीं भी ले जाया जा सकता है.

बढ़ता जा रहा इस्तेमाल

असम की रहने वाली मधु राज गुप्ता कहती हैं, ‘खोयाबरफी को खाने में डर लगता है, क्योंकि त्योहार के समय हर तरफ मिलावट वाली बातें होती रहती हैं. काजूकतली को बनाने के लिए किसी भी ऐसी चीज का इस्तेमाल नहीं किया जाता, जिस में कुछ मिलावट की जा सकती हो. काजू और चीनी से बनी काजूकतली खोए की बरफी के मुकाबले सेहत के लिए बेहतर होती है. इसीलिए लोग इसे खूब खाते हैं. यह खोयाबरफी के मुकाबले महंगी होने के बाद भी ज्यादा पसंद की जा रही है.’

बाजार में काजूकतली की कीमत 5 सौ रुपए प्रति किलोग्राम से शुरू हो कर 7 सौ रुपए प्रति किलोग्राम तक होती है. इस के बाद भी यह सब से ज्यादा बिकती है. काजू से कई तरह की मिठाइयां तैयार की जाती हैं. काजू वैसे भी बहुत स्वादिष्ठ होता है. चीनी के साथ मिल कर यह और ज्यादा स्वादिष्ठ हो जाता है. त्योहारों के अलावा शादी में दी जाने वाली मिठाइयों में भी इस की खपत खूब होने लगी है.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...