केला भारत में उगाया जाने वाला एक खास फल है. यह भारत के सभी भागों में उगाया जाता है. प्रसंस्करण द्वारा इसे लंबे समय तक इस्तेमाल में लाया जा सकता है. केले का आटा पोषक तत्त्वों की आपूर्ति का एक अच्छा जरीया हो सकता है. इस से केले के भंडारण व रखरखाव की समस्या हल हो सकती है.

केला बहुत ही मीठा, गुणों से भरपूर व पाचक फल है. केले के भंडारण के लिए आदर्श तापमान 12-14 डिगरी सेल्सियस है. समुचित रखरखाव व भंडारण व्यवस्था न होने के कारण केला सड़ जाता है. केले से विभिन्न प्रकार के उत्पाद जैसे जैम, जेली, प्यूरी, स्क्वैश, चिप्स व आटा वगैरह बनाए जाते हैं. केले का जैम व चिप्स बाजार में काफी लोकप्रिय हैं. आटा केले का बहुत खास उत्पाद है. केले के कच्चे व पके फलों से आटा बना कर इस के रखरखाव व भंडारण की समस्या को हल किया जा सकता है. केले का आटा रेशे व कार्बोहाइड्रेट से भरपूर होता है. इस में काफी मात्रा में मिनरल भी पाए जाते हैं. केले के आटे से ब्रेड, बिस्कुट, खीर, नूडल्स व रसगुल्ले वगैरह बनाए जा सकते हैं. इस आटे को अन्य अनाजों के आटे में मिला कर उन की पौष्टिकता को भी बढ़ाया जा सकता है.

  1. केले का आटा बनाने की विधि

सामग्री :

कच्चे या पके केले, सिट्रिक अम्ल (0.2 फीसदी).

बनाने की विधि :

केलों को धोएं. इस के बाद छिलके नर्म करने के लिए उन्हें 65-70 डिगरी सेल्सियस पर गरम पानी में डुबोएं. फिर केलों को तुरंत निकाल कर ठंडे पानी में ठंडा करें और छिलके उतार लें. कच्चे केलों की 3-4 मिलीमीटर मोटी फांकें काटें. पके केलों की 2-5 मिलीमीटर मोटी फांकें काटें. फांकों को 0.2 फीसदी सिट्रिक अम्ल में 10 मिनट के लिए डुबोएं. फिर फांकें निकाल कर उन्हें ट्रे ड्रायर में 60 डिगरी सेल्सियस पर 8-10 फीसदी नमी तक सुखाएं. सूखी फांकों को पीस कर आटा बना लें.

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