एक फेयरनैस क्रीम के विज्ञापन में ऐक्टर सिद्धार्थ मल्होत्रा ऐक्टर और फैंस के रिलेशन में आए चेंज को अच्छी तरह डिफाइन करते हुए कहते हैं कि अब फैंस औटोग्राफ नहीं सैल्फी की डिमांड करते हैं. यह हलकीफुलकी लगने वाली बात दरअसल इशारा है युवाओं के तकनीकी मिजाज और मनोरंजन के संसार को ले कर उन की बदलती अप्रोच का, आज युवा किसी अभिनेता की तसवीर दीवार पर चिपकाने के बजाय उसे अपने अलबम में चस्पां रखते हैं, ताकि वे उसे औनलाइन प्लेटफौर्म पर पोस्ट कर सैल्फ पब्लिसिटी के साथ अपने ग्रुप में ट्रेडिंग टौपिक या वायरल फैक्टर बना सकें. दिल्लीमुंबई जैसे शहरों की मैट्रो ट्रेंस हों या छोटे कसबों के नुक्कड़ पर बैठे युवा, प्रत्येक कान में इयरफोन और हाथ में बड़ी स्क्रीन वाले आईफोन

या टैबलेट लिए फिल्में देखते आसानी से दिख जाते हैं. एक दौर में तो लोगों के लिए मनोरंजन का साधन सिनेमाघर मात्र हुआ करते थे. लेकिन आज युवाओं ने मनोरंजन को स्मार्टफोन, लैपटौप, आईपैड और डिजिटल वर्ल्ड में समेट लिया है. इन के इस तकनीकी कदमताल को समझते हुए मनोरंजन उद्योग ने भी इंटरनैट, सोशल मीडिया, डिजिटल वर्ल्ड में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई है ताकि युवाओं को वह अपना मनोरंजन बेच सके. फिल्म उद्योग अब सिर्फ सिनेमाघरों तक  ही सीमित नहीं है बल्कि इंटरनैट की विशाल दुनिया तक पहुंच गया है. यूट्यूब पर जहां फिल्मों के सब से पहले ट्रेलर रिलीज होते हैं, वहीं ट्विटर पर फर्स्ट लुक शेयर किया जाता है और फेसबुक पर पेज लाइक्स किए जाते हैं. ट्विटर पर सैलिब्रिटीज को फौलो करना क्रेज बन चुका है. अगर किसी नामी फिल्मी हस्ती ने एक ट्वीट कर दिया तो उसे फौलो करने वालों की लाइन लग जाती है. 

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