टीवी चैनलों की सबसे बड़ी कमजोरी है कि जब तक उनके किसी सीरियल को अच्छी टीआरपी यानी कि दर्शक मिलते रहते हैं, तब तक वह रबर की तरह उस सीरियल की कहानी को खींचते रहते हैं. यदि रबर बीच में टूट जाए, तो उसमे गांठ लगाकर खींचना जारी रखते हैं. यह एक कटु सत्य है.

‘‘कलर्स’’ चैनल ने 21 जुलाई 2008 को अपने चैनल की शुरुआत के साथ चैनल ड्रायवर की हैसियत से संजय वाधवा के सीरियल ‘‘बालिका वधू’’ की शुरुआत की थी. इसमें कोई शक नहीं कि ‘‘बालिका वधू’’ सही मायनो में कई वर्षो तक ‘कलर्स’ का चैनल ड्रायवर बना रहा. पर एक वक्त वह आ गया था, जब चैनल को ‘‘बालिका वधू’’ से छुटकारा पाकर किसी अन्य कार्यक्रम को लेकर आना चाहिए था. लेकिन लालच के कारण चैनल के अधिकारियों ने यह कदम नहीं उठाया. और जब ‘‘बालिका वधू’’ को दर्शक मिलने बंद हो गए, तो अब मजबूरन ‘‘कलर्स’’ ने पूरे आठ साल और 2225 एपीसोड प्रसारित होने के बाद 31 जुलाई से ‘बालिका वधू’ का प्रसारण बंद करने का निर्णय लिया है, जिससे इस सीरियल के निर्माता व कलाकार नाराज बताए जा रहे हैं.

सीरियल ‘‘बालिका वधू’’ की कहानी राजस्थान में लड़कियों के बाल विवाह के मुद्दे पर शुरू हुई थी. बाल विवाहिता आनंदी के तौर पर अविका गौर ने अपने अभिनय से इस सीरियल को इतनी टीआरपी दी कि उसे बड़ा करने के लिए ही चैनल ने लंबा समय ले लिया. जैसे ही आनंदी बड़ी हुई और अविका गौर की जगह प्रत्यूषा बनर्जी आयी थी, वैसे ही टीआरपी में हल्की सी गिरावट आयी थी. पर धीरे धीरे सीरियल ‘बालिका वधू’ के प्रति दर्शकों का मोह भंग होने लगा था. उसके बाद चैनल व निर्माता की तरफ से शुरू हुआ था टीआरपी को बटोरने का खेल. जिसकी वजह से कहानी में अजीबोगरीब मोड़ आते रहे. कई कलाकार आते जाते रहे. यहां तक कि 2015 की शुरुआत में सोशल मीडिया के अलावा कई तबकों से यह आवाज उठने लगी थी कि  अब ‘बालिका वधू’ का प्रसारण बंद कर दिया जाना चाहिए.

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