ब्राजील के नगर साओ पाओलो का नाम लेते ही महानगरों की एक मिलीजुली तसवीर आंखों के सामने उभर आती है. अमेरिका के महानगरों की तरह वहां भी आधुनिकता के प्रभावस्वरूप गगनचुंबी अट्टालिकाओं का जंगल तो जरूर उभर आया है, लेकिन इस जंगल के पीछे छिपे सहृदय, भावुक, अलमस्त तथा सदैव आप की सहायता के लिए तत्पर ऐसे लोग भी हैं जो अमेरिकी नगरों में कम ही देखने को मिलते हैं. अगर कहीं आप भाषा की दीवार लांघ कर उन के करीब पहुंचने में सफल हो गए तो फिर तो ये अपना सारा कामधाम छोड़ कर आप की हरेक प्रकार की सहायता करने के लिए तत्पर हो जाएंगे. इस बात का अनुभव हमें साओ पाओलो पहुंचने के अगले दिन ही हो गया था.

एक अच्छी बात यह हुई कि पहले दिन ही हमारी मुलाकात एक भारतीय से हो गई, जो थोड़ीबहुत पुर्तगाली जानता था. उस के आग्रह पर हम अगले दिन उस के साथ ही शहर का जायजा लेने निकले. पहली नजर में हमें 2 करोड़ जनसंख्या वाला यह महानगर, जो न सिर्फ ब्राजील का बल्कि पूरे दक्षिण अमेरिका का सब से बड़ा शहर है, बहुत भीड़भड़क्के वाला तथा कुछकुछ अस्तव्यस्त सा लगा. लेकिन फिर एक सप्ताह तक शहर के विभिन्न स्थानों पर अपने भ्रमण के दौरान हम ने महसूस किया कि बड़ेबड़े बिल्डरों ने अपनी गगनचुंबी अट्टालिकाओं से जहां दूरदूर तक नगर को विस्तार दे दिया है, वहीं दूसरी ओर इस महानगर के कुछ नई पीढ़ी के उद्यमियों ने पुराने ऐसे इलाकों को भी नया आकार देना शुरू कर दिया है, जहां कभी संभ्रांत लोगों का जाना भी वर्जित था. रुआ औगस्ता, जो कभी शहर का मशहूर रैडलाइट एरिया हुआ करता था, ऐसे ही स्थानों में से एक है. आज यहां बड़ेबड़े मौल, आकर्षक शोरूम तथा बुटीक तो उभर ही आए हैं, साथ ही यहां शहर के कुछ प्रसिद्ध रेस्तरां, क्लब तथा बार भी बन गए हैं, जहां हर रात पर्यटकों तथा स्थानीय लोगों के दिल धड़कते हैं.

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