प्रोसेसर को फोन का दिमाग कहा जा सकता है जो सभी गतिविधियों को नियंत्रित करता है. यह एक इलेक्ट्रानिक सर्किट होता है, एक चिप होती है, जिसकी परफारमेंस हर्ट्ज, किलोहर्ट्ज, मेगाहर्ट्ज और गीगाहर्ट्ज के आधार पर मापी जाती है. अगर प्रोसेसर का चिपसेट बेहतर है तो आपके फोन की परफारमेंस भी जानदार रहेगी. आज जानते हैं प्रोसेसर के प्रकार, इनके महत्व और इनके फीचर के बारे में, जिससे भविष्य में आप जब स्मार्टफोन खरीदें तो प्रोसेसर का चयन उसमें अहम भूमिका निभाए.

सिंगल कोर: यह प्रोसेसिंग यूनिट सिंगल कोर पर काम करता है. सिंगल प्रोसेसिंग यूनिट (सीपीयू) होने के चलते इसमें मल्टी-टास्किंग के दौरान बहुत परेशानी आती है. सिंगल कोर प्रोसेसर उन लोगों के लिए बिलकुल मुफीद नहीं होगा जो गेमिंग या एक ही समय पर एक से ज्यादा टास्क करने को तवज्जो देते हैं. इसे बुनियादी प्रोसेसर कहा जा सकता है, तो साधारण इंटरनेट इस्तेमाल, ऐप और हल्के गेम में ही प्रभावी रह सकता है.

डुअल कोर: सिंगल कोर प्रोसेसर में जहां कोर यूनिट की संख्या सिंगल होती है, वहीं डुअल कोर में यह संख्या दो है. और ऐसा प्रोसेसर के नाम से ही पता चलता है. सरल शब्दों में कहें तो  डुअल कोर प्रोसेसर के जरिए स्मार्टफोन की परफारमेंस दो बराबर भागों में बंट जाती है. यहां यूजर को इंटरनेट के साथ-साथ कुछ अन्य ऐप एक समय पर इस्तेमाल किए जा सकते हैं. लेकिन यह भी हैवी टास्क के लिए आज के दौर में उपयुक्त नहीं माना जाता. कहा जा सकता है कि डुअल कोर प्रोसेसर यूजर्स को बेसिक से थोड़े बेहतर परिणाम ही दे पाने में सक्षम है.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...