थाईलैंड के मैन्ग्रोव जंगल में एक मछली रहती है आर्चरफिश. उस के नाम का मतलब है कि वह तीर चलाती है. दरअसल, यह मछली अपने मुंह से पानी की धार मारती है और ऊपर किसी डाल पर बैठे कीट को मार गिराती है. फिर जैसे ही यह कीड़ा पानी में गिरता है, उसे झपट लेती है. मगर पानी में कई और मछलियां भी तो रहती हैं.

आर्चरफिश के साथ उसी प्राकृतवास में एक और मछली रहती है हाफबीक. हाफबीक की संख्या भी आमतौर पर ज्यादा होती है. ये हाफबीक फिराक में रहती हैं कि आर्चरफिश के तीर से पानी में टपके शिकार को झपट लें. ऐसे में आर्चरफिश के तीर बेकार जाएंगे.

इस होड़ को समझने के लिए जरमनी के बैराथ विश्वविद्यालय के स्टीफन शूस्टर के दल ने इन 2 मछलियों की वीडियो शूटिंग की और इन की शरीर रचना का अध्ययन किया. अध्ययन से पता चला कि आर्चरफिश को सही जगह पहुंचने में औसतन 90 मिली सैकंड लगे जबकि हाफबीक को 235 मिली सैकंड.

मगर इस होड़ में आर्चरफिश को एक नुकसान भी है. रात के समय वह कम देख पाती है जबकि हाफबीक लगभग घुप अंधेरे में भी देख लेती है. दरअसल, हाफबीक की देखने की क्षमता उस की पीठ की चमड़ी पर स्थित संवेदी कोशिकाओं की वजह से होती है.

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