अपने फोन के जरूरी डेटा को सेव रखने के लिए फोन में पासवर्ड लॉक लगाने वाला जमाना अब नहीं रहा. एक ग्लोबल रिपोर्ट के अनुसार पेमेंट्स के लिए 2017 तक भारत में बायोमेट्रिक स्मार्टफोन यूजर्स की संख्या कम से कम 471 लाख होगी. यानी कि न केवल फोन का डेटा सुरक्षित रखने के लिए बल्कि ऑनलाइन पेमेंट्स के लिए ये टेक्नोलॉजी इस्तेमाल की जा रही हैं. आगे जानिए ऐसी 5 बायोमेट्रिक टेक्नोलॉजी के बारे में जिनके आगे पासवर्ड याद रखने का जमाना पुराना हो गया है...

फिंगरप्रिंट

'ऐपल पे' ने टच आईडी के लिए इसकी शुरुआत कर फिंगरप्रिंट आईडी को फेमस कर दिया है. बायोमेट्रिक कंपनी ज्वाइप ने मास्टरकार्ड को विश्व के पहले फिंगरप्रिंट पेमेंट कार्ड से कलैबरेट किया है. इसका उपयोग कॉन्टैक्टलेस पेमेंट्स के लिए किया जाता है.

वॉइस

यह यूजर के वॉइस के टाइप, हार्मोनिक्स, पिच और रेंज पर बेस्ड लॉक होता है.

यूके बेस्ड HSBC कस्मटर्स अपने वॉइस प्रिंट से ऑनलाइन अकाउंट लॉगइन कर सकते हैं. ICICI बैंक भी जल्द ही ये सर्विस शुरू करने जा रहा है.

रेटिना

यह 1980 में डेवेलप हो गया था. यह तरीका आंख के पीछे की रक्त धमनियों के पैटर्न पर बेस्ड है. यह पैटर्न हर व्यक्ति का अलग-अलग होता है इसलिए यह एक सेफ लॉक है.

जापानी टेलिकॉम कंपनी डोकोमो और हैंडसेट बनाने वाली कंपनी फुजित्सु ने एक स्मार्टफोन लॉन्च किया है जिसमें आइरिश स्कैनिंग से मोबाइल पेमेंट करने का फीचर दिया गया है.

हार्टबीट

हार्टबीट या ECG स्कैनिंग ज्यादा जटिल है और अब तक बहुत ज्यादा पॉप्युलर भी नहीं हुई है.

टॉरंटो बेस्ड एक कंपनी ने मास्टरकार्ड और रॉयल बैंक ऑफ कनाडा से हार्टबीट लॉक को लिंक किया है. इसके जरिए यूजर अपने क्रेडिट कार्ड से ऑनलाइन बैंकिंग कर सकता है.

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