तमाम देशों के वैज्ञानिक एटमी फ्यूजन से सूर्य बनाने की तकनीक की तलाश कर रहे हैं, लेकिन इस में किसी को कोई सफलता नहीं मिली. ऐसा अनुमान है कि समुद्र के पानी में भारी हाइड्रोजन का भंडार है जो एक सूर्य बनाने में पर्याप्त है. अगर इस में सफलता मिल गई तो एक नया कृत्रिम सूरज हमारे बीच होगा.

हमारे जीवन में ऊर्जा का बहुत महत्त्व है. इंसान की तरक्की के लिए ऊर्जा जरूरी है. ऊर्जा हमें ईंधन से मिलती है. आज दुनिया में कई तरह के ईंधन काम में लाए जा रहे हैं. इस में सब से ज्यादा कोयला और तेल इस्तेमाल हो रहा है. ये दोनों ईंधन जमीन के अंदर से निकाले जाते हैं, लेकिन इन का भंडार सीमित है. इसलिए इन का विकल्प खोजना अति आवश्यक है.

वह वक्त भी जल्दी आने वाला है जब इन दोनों का स्रोत खत्म हो जाएगा. साथ ही इन से प्रदूषण बहुत होता है, जिस का असर हमारे वातावरण पर पड़ रहा है. इसीलिए तमाम देश एटमी ईंधन पर जोर दे रहे हैं. मगर एटमी प्लांट लगाना बेहद खर्चीला है.

दूसरी तरफ इस के बाई प्रोडक्ट के तौर पर निकलने वाले रेडियो ऐक्टिव कचरे को ठिकाने लगाना भी बड़ी चुनौती है. इसीलिए काफी दिनों से वैज्ञानिक एक ऐसे ईंधन की तलाश कर रहे हैं, जिस से पर्यावरण को भी नुकसान न हो और उस का कोई बाई प्रोडक्ट भी न हो.

हमारी धरती को बहुत सारी ऊर्जा की जरूरत होती है, जो कोयले और तेल से पूरी नहीं होने वाली. इस चुनौती का मुकाबला एटमी पावर प्लांट से भी नहीं किया जा सकता. फ्यूजन ही वह तकनीक है, जिस से धरती की ऊर्जा की जरूरतें पूरी की जा सकती हैं. फ्यूजन में 2परमाणुओं का मेल होने से ऐनर्जी निकलती है. जैसे एटमी विस्फोट में 2 परमाणुओं की टकराहट से बेहिसाब ऊर्जा निकलती है. वैसे ही जब 2 परमाणु, एकदूसरे से जुड़ते हैं तो दोनों के मिश्रण से काफी ऊर्जा निकलती है.

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