मस्तिष्क का सुरक्षा कवच

आप अपनी लाइफस्टाइल में थोड़ेबहुत बदलाव कर अपने दिमाग को ज्यादा लंबे समय तक स्ट्रौंग बना सकते हैं. 5 बातें जान कर आप को शायद भूलने की बीमारी ही न हो या फिर ये आप को भूलने से बचाने में कारगर साबित होंगी. वे बातें हैं--आप धूम्रपान से दूरी बना लें, व्यायाम पर ज्यादा ध्यान दें, अपना वजन कम रखें, शराब का सेवन न करें और प्रोटीनयुक्त डाइट को खाने में प्राथमिकता दें.

ब्रिटेन की एडिनबरा यूनिवर्सिटी में हुई रिसर्च के मुताबिक, डिमैंशिया से निबटने या उसे दूर भगाने के तरीके नहीं हैं. हां, इस के खतरे को कम जरूर किया जा सकता है. रिसर्च के अनुसार, याददाश्त को अच्छा रखने के लिए जो नुस्खे बताए गए हैं वे पहले से ही हमारे शरीर के लिए अच्छे समझे जाते रहे हैं यानी देखा जाए तो इन बातों को मान लेने से आप का फायदा ही होगा, कोई नुकसान नहीं. रिसर्च के दौरान सामने आया कि अगर आप का शरीर मेहनत करेगा तो आप की याददाश्त ज्यादा दिनों तक अच्छी हालत में बनी रहेगी, साथ ही, जो शुरुआत से ही मेहनत से पीछे नहीं भागते उन लोगों के बूढ़ा होने पर अल्जाइमर रोग होने का खतरा भी कम ही रहेगा.

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प्रैग्नैंसी में गैजेट्स से बचें

अगर आप प्रैग्नैंट हैं तो आप को अपने मोबाइल फोन और माइक्रोवेव से खतरा हो सकता है. रिसर्च के मुताबिक, गर्भ में पल रहा बच्चा इन गैजेट्स से डरता है. फोन की रिंगटोन हो या उस में लगा वाइब्रेशन--ये दोनों ही बच्चे को डराते हैं और ऐसा होने से बारबार उस की नींद भी टूटती है. न्यूयौर्क के विकोफ हाइट्स मैडिकल सैंटर के शोध में यह बात सामने आई है. 6 से 9 माह का गर्भस्थ शिशु मोबाइल की रिंगटोन से एकदम चौंकता है. इस के लिए बेहतर है कि आप मोबाइल को अपने से दूर ही रखें और उस की आवाज को भी कम या साइलैंट मोड पर रखें. विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार, भू्रण को माइक्रोवेव रेडिएशन का खतरा भी होता है क्योंकि शिशु की त्वचा की परत काफी पतली होती है. प्रैग्नैंसी के दौरान ऐसे उपकरणों से दूरी रखने से आप का बच्चा स्वस्थ बनेगा.

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