अभी तक आप ने पढ़ा...

बड़े शहर के एक कालेज में 2 युवतियां मिलीं. उन की दोस्ती प्रगाढ़ हो गई. शहर वाली युवती प्रियांशी सुखसुविधाओं से संपन्न थी जबकि कसबाई युवती सीधीसादी. शहरी युवती मस्ती और जोश में जीती व कालेज के सभी युवकों से फ्लर्ट करती. सभी युवक उस के आगेपीछे चक्कर लगाते रहते लेकिन वह सभी को नचाती. उस की सहेली प्रतिभा अकसर युवकों के सामने शर्माती और निगाहें फेर लेती. उस ने प्रतिभा को भी आधुनिक ढंग से जीने के टिप्स दिए. लेकिन कसबाई युवती संकोची थी. शहरी युवती को वैलेंटाइन पर युवकों ने महंगे गिफ्ट्स दिए लेकिन उस ने उन्हें ठुकरा दिया. एक युवक से उस ने काफी बातचीत की पर उसे भी कह दिया कि घबराओं मत मैं तुम से शादी नहीं करने वाली. प्रियांशी को लगता कि प्रेम तो शारीरिक आकर्षण है और शारीरिक मिलन पर जा कर समाप्त होता है. ऐसे में दोस्ती के तार झनझना कर टूट जाते हैं.

अब आगे...

कसबे वाली युवती...

मेरी समझ में अच्छी तरह आ गया है कि मेरी सुंदरता प्रियांशी के सामने बिलकुल वैसी ही है, जैसी पूर्णिमा की रात को उस के अगलबगल रहने वाले तारों की होती है, जो चांद की चमक के सामने किसी को दिखाई नहीं देते. मैं ने मन बना लिया है कि यदि मुझे अपने अस्तित्व को बचाए रखना है, तो प्रियांशी से दूर जाना होगा.

वह अच्छी युवती है, अच्छी दोस्त है, सलाहकार है, लेकिन इस उम्र में मुझे एक अच्छी दोस्त की नहीं बल्कि एक अच्छे प्रेमी की आवश्यकता है. मेरे बदन में जो आग है उसे प्रेमी की ठंडी फुहारें ही बुझा सकती हैं. मैं प्रियांशी से धीरेधीरे किनारा कर रही हूं और उसे इस बात का आभास भी हो गया है, लेकिन मुझे उस की चिंता नहीं करनी है. उस की चिंता करूंगी तो मैं कभी किसी युवक का प्यार हासिल नहीं कर पाऊंगी.

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