रजिया को छोड़ कर उस के वालिद ने दुनिया को अलविदा कह दिया. उस समय रजिया की उम्र तकरीबन 2 साल की रही होगी. रजिया को पालने, बेहतर तालीम दिलाने का जिम्मा उस की मां नुसरत बानो पर आ पड़ा. खानदान में सिर्फ रजिया के चाचा, चाची और एक लड़का नफीस था. माली हालत बेहतर थी. घर में 2 बच्चों की परवरिश बेहतर ढंग से हो सके, इस का माकूल इंतजाम था. अपने शौहर की बात को गांठ बांध कर नुसरत बानो ने दूसरे निकाह का ख्वाब पाला ही नहीं. वे रजिया को खूब पढ़ालिखा कर डाक्टर बनाने का सपना देखने लगीं. ‘‘देखो बेटी, तुम्हारी प्राइमरी की पढ़ाई यहां हो चुकी है. तुम्हें आगे पढ़ना है, तो शहर जा कर पढ़ाई करनी पड़ेगी. शहर भी पास में ही है. तुम्हारे रहनेपढ़ाने का इंतजाम हम करा देंगे, पर मन लगा कर पढ़ना होगा... समझी?’’ यह बात रजिया के चाचा रहमत ने कही थी.

दोनों बच्चों ने उन की बात पर अपनी रजामंदी जताई. अब रजिया और उस के चाचा का लड़का नफीस साथसाथ आटोरिकशे से शहर पढ़ने जाने लगे. दोनों बच्चे धीरेधीरे आपस में काफी घुलमिल गए थे. स्कूल से आ कर वे दोनों अकसर साथसाथ रहते थे. चानक एक दिन बादल छाए, गरज के साथ पानी बरसने लगा. रजिया ने आटोरिकशे वाले से जल्दी घर चलने को कहा. इस पर आटोरिकशा वाले ने कुछ देर बरसात के थमने का इंतजार करने को कहा, पर रजिया नहीं मानी और जल्दी घर चलने की जिद करने लगी. भारी बारिश के बीच तेज रफ्तार से चल रहा आटोरिकशा अचानक एक मोड़ पर आ कर पलट गया. ड्राइवर आटोरिकशा वहीं छोड़ कर भाग गया.

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