श्वेत से जिस्म पर प्रेम की निशानी
देख ले कोई तो कह दे कहानी
होंठ का स्पर्श उंगली के पोर
वाणी है मूक बस सांसों का शोर
उस के छूने का अंदाज निराला है
आंख छलकती हुई मय का प्याला है
भूल गई मैं किस दुनिया में हूं
नशा है, मस्ती है, वो एक मधुशाला है
सच है प्यार, मन का चैन है
बिन उस के देह बेचैन है
कैसी तृष्णा कैसी प्यास है
फिर से उस के आने की आस है.
आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें
सब्सक्रिप्शन के साथ पाए
500 से ज्यादा ऑडियो स्टोरीज
7 हजार से ज्यादा कहानियां
50 से ज्यादा नई कहानियां हर महीने
निजी समस्याओं के समाधान
समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...
सरिता से और