पिछले अंक में आप ने पढ़ा :

सुंदर एक फैक्टरी में क्लर्क था. उस के पास पैसे की कमी थी, इसलिए उस के दोस्त उस से कन्नी काटते थे. वे उसे अपनी पार्टियों में भी शामिल नहीं करते थे. लेकिन खूबसूरत कलावती से शादी के बाद वे उसे भी बीवी के साथ पार्टियों का न्योता भेजने लगे. दिलफेंक हरीश तो कलावती पर लट्टू हो गया था. वह उसे महंगेमहंगे गिफ्ट देने लगा था. पहले तो सुंदर को बहुत बुरा लगा, लेकिन बाद में उस ने इस बात का फायदा उठाना चाहा और अपनी बात कलावती के सामने रखी.

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जिस दिन सुंदर ने कलावती से आमदनी का अच्छा जरीया वाली बात की, उसी दिन कलावती काफी रात हुए घर आई. हरीश उस को अपनी गाड़ी से घर के बाहर तक छोड़ने आया था. यह शायद पहला मौका था, जब हरीश घर के अंदर नहीं आया था. कलावती अकेले ही अंदर आई थी. उस के होंठों की फीकी पड़ी लिपस्टिक और बिखरेबिखरे बाल जैसे खुद ही कोई कहानी बयान कर रहे थे. सबकुछ समझते हुए भी सुंदर आज उसे अनदेखा करने के मूड में था. कलावती ने सुंदर को कुछ कहने या सवाल करने का मौका ही नहीं दिया.

होंठों के एक कोर पर फैली लिपस्टिक को हाथ के अंगूठे से साफ करते हुए कलावती ने कहा, ‘‘मैं ने हरीश से बात की है. वह बिना किसी इंवैस्टमैंट के ही हमें अपने काम में 10 फीसदी की पार्टनरशिप देने को तैयार है. इस के लिए मुझे उस के दफ्तर में बैठ कर ही कामकाज में उस का हाथ बंटाना होगा. ‘‘हरीश जो भी सामान बेचता है, वह सब औरतों के इस्तेमाल में आने वाला है, इसलिए उस को लगता है कि एक औरत होने के नाते मैं उस के कारोबार को बेहतर तरीके से देख सकती हूं. जब ऐक्स्ट्रा आमदनी रैगुलर आमदनी की शक्ल ले लेगी, तो मैं बेशक नौकरी छोड़ दूंगी. तुम को मेरे इस फैसले पर कोई एतराज तो नहीं...?’’

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