क्रिकेट में लकड़ी के बल्ले का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन एक समय ऐसा भी आया जब आस्ट्रेलियाई क्रिकेटर डेनिस लिली मैदान में बल्लेबाजी के दौरान एल्युमिनियनम धातु से बना बल्ला लेकर उतरे थे. लिली के इस कदम ने क्रिकेट फील्ड में हंगामा मचा दिया था.

डेनिस एक बेहतरीन गेंदबाज थे लेकिन सवाल यह उठता है कि उन्होंने एल्यूमिनियम के बल्ले का इस्तेमाल क्यों किया? उसके पीछे की कहानी बड़ी दिलचस्प है. तो आइए जानते हैं एल्युमिनियम बल्ला के इस किस्से से.

आपको बता दें कि डेनिस लिली अपने क्रिकेट करियर के दौरान आस्ट्रेलियाई टीम के सबसे ज्यादा विवादों से घिरने वाले खिलाड़ियों में से एक रहे. ऐसे ही एक विवाद को उन्होंने 1979 में इंग्लैंड के खिलाफ खेले जा रहे एक टेस्ट मैच के दौरान हवा दी. इस मैच में जब लिली मैदान पर बल्लेबाजी करने उतरे तो उनके हाथ में साधारण लकड़ी से बना बल्ला नहीं, बल्कि एल्युमिनियम धातु से बना बल्ला था.

एल्युमिनियम का यह बल्ला लिली के दोस्त ग्रेम मोनेगन की कंपनी ने बनाया था. यह बल्ला परंपरागत क्रिकेट बल्ला के रिप्लेसमेंट के लिए बनाया गया था जो स्कूलों और विकासशील देशों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया था. मोनेगन ने एल्युमिनियम के इस बल्ला का निर्माण बेसबौल के बल्ला को ध्यान में रखकर किया था जहां लकड़ी के बल्ला को एल्युमिनियम से रिप्लेस किया गया था. लिली अपने दोस्त मोनेगन की कंपनी में हिस्सेदार थे इसलिए उन्होंने एक मार्केटिंग स्टंट का पूरा करने के लिए उस बल्ला के साथ अंतरराष्ट्रीय टेस्ट मैच में खेलने का निर्णय लिया.

उस समय तक क्रिकेट में इस तरह के बल्ले को इस्तेमाल करने को लेकर कोई रोक-टोक नहीं थी, इसलिए लिली के लिए इस बल्ले के साथ मैदान पर जाना और भी आसान हो गया. हालांकि यह पहली बार नहीं था जब लिली ने एल्युमिनियम के बल्ले का इस्तेमाल किया था, बल्कि इस घटना के ठीक 12 दिन पहले उन्होंने इसी बल्ला का इस्तेमाल वेस्टइंडीज के खिलाफ टेस्ट मैच में भी किया था. लेकिन उस टेस्ट मैच में उनके बल्ला के खिलाफ किसी ने विरोध व्यक्त नहीं किया था.

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