हाल ही में दुबई में हुए क्रिकेट के एशिया कप में भारत 7वीं बार चैंपियन बना पर फाइनल मुकाबला उस के और पाकिस्तान के बीच नहीं हुआ था. उस से कहीं कमतर बंगलादेश ने एक अहम मुकाबले में उसे हरा कर भारत से फाइनल मैच खेलने का शानदार मौका हासिल किया था और भारत को कारीबकरीब हरा ही दिया था.

पर एक समय ऐसा था जब पाकिस्तान की क्रिकेट जगत में तूती बोलती थी. उस का कमजोर से कमजोर खिलाड़ी खेल के मैदान पर घातक होता था. लेकिन आज उसी पाकिस्तान के कप्तान का नाम पूछ लिया जाए तो ज्यादातर लोग बगलें झांकने लगेंगे.

क्या है इस की वजह?

दरअसल, पिछले कई साल से पाकिस्तान और भारत के बीच हुए खराब रिश्तों के चलते भारत और पाकिस्तान के बीच अरसे से कोई सीरीज एकदूसरे के देश में नहीं खेली गई है. इस से पाकिस्तान को पैसे के लिहाज से बहुत नुकसान हुआ है. ऊपर से उन्हें भारत में होने वाले इंडियन प्रीमियर लीग में खेलने की इजाजत नहीं है जिस से उस के खिलाड़ियों और दूसरे स्टाफ को भी पैसे का घाटा होता है.

ऐसा नहीं है कि पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने कोशिश नहीं की कि दोनों देशों के बीच क्रिकेट सीरीज खेली जाए पर ऐसा नहीं हो पाया. भारत ही नहीं दूसरे देश भी वहां क्रिकेट खेलने से घबराते हैं. कई बार खेल के दौरान खिलाडियों को मिली आतंकी धमकियों या कुछ वारदातों के चलते बीच में ही सीरीज छोड़ दी गईं. पाकिस्तान को लगता है कि अगर भारत वहां या कहीं ओर भी उस के साथ क्रिकेट खेल ले तो दूसरे देशों का भी हौसला बढ़ जाएगा और वहां का क्रिकेट बोर्ड पैसा बना लेगा.

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