क्रिकेटर हार्दिक पांड्या ने इस बात को खारिज कर दिया कि उन्होंने ट्विटर पर किसी प्रकार की अपमानजनक टिप्पणी की है. उन्होंने कहा कि यह ट्वीट फर्जी अकाउंट से किया गया है और इसमें उनके नाम और तस्वीर का गलत इस्तेमाल किया गया है. जोधपुर कोर्ट आदेश के बाद अपने स्पष्टीकरण में पांड्या ने कहा कि उनके मन में अंबेडकर के प्रति अत्यंत आदर और सम्मान है.
उन्होंने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर बयान जारी कर कहा, ‘मैं किसी प्रकार की ऐसी बयानबाजी में शामिल नहीं होउंगा जो अपमानजनक हो और किसी समुदाय का भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली हो.’ संविधान निर्माता बीआर अंबेडकर के बारे में नकारात्मक टिप्पणियों के लिए अदालत में उनके खिलाफ याचिका दायर की गई थी.
My statement. pic.twitter.com/P67YZLJqsl
— hardik pandya (@hardikpandya7) March 22, 2018
उन्होंने कहा है कि यह टिप्पणी फर्जी खाते से की गयी है, जिसमें उनके नाम और तस्वीर का इस्तेमाल किया गया है. पांड्या ने कहा कि वह कोर्ट से अपना नाम इस मामले से हटाने की अपील करेंगे. उन्होंने कहा, "इस बात को साबित करने कि यह ट्वीट फर्जी है और मैंने नहीं किया है, मैं अदालत में जरूरी सबूत उपलब्ध कराऊंगा. मैं इस मुद्दे को उठाउंगा कि मेरी पहचान लेकर एक जालसाज ने यह पोस्ट किया ताकि मेरी छवि को नुकसान पहुंचे, जो एक ऐसी समस्या है जिसका सामना आज के समय देश में कई जानी पहचानी शख्सियतों को लगातार करना पड़ रहा है."
बता दें कि इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के 11वें संस्करण की तैयारियों में लगे हार्दिक पांड्या उस समय विवादों में फंस गए जब उनके नाम वाले एक फर्जी ट्विटर खाते से अंबेडकर को आरक्षण नीति को लेकर बुरा-भला कहा गया. उस ट्वीट में कहा गया, "अंबेडकर कौन? जिसने क्रौस लौ और संविधान बनाया या वो जिसने देश में आरक्षण जैसी बीमारी फैलाई." इसके बाद राजस्थान अदालत ने बुधवार को जोधपुर पुलिस को पांड्या के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने को कहा था.