बेरोजगार और अनजान एथलीट मंजीत सिंह ने ट्रैक पर धूम मचायी तथा एशियाई खेलों की पुरूष 800 मीटर दौड़ में प्रबल दावेदार हमवतन जिनसन जॉनसन को पीछे छोड़ते हुए स्वर्ण पदक जीता. भारत ने इस स्पर्धा में पहले दो स्थान हासिल किये.

मंजीत को पदक का दावेदार नहीं माना जा रहा था लेकिन उन्होंने अनुभवी जानसन को पीछे छोड़कर एक मिनट 46.15 सेकेंड का व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ समय निकालते हुए अपना पहला बड़ा अंतरराष्ट्रीय पदक जीता. केरल के एशियाई चैंपियनशिप के पदक विजेता जानसन एक मिनट 46.35 सेकेंड का समय लेकर दूसरे स्थान पर रहे.

भारत ने 800 मीटर में आखिरी बार 1982 दिल्ली एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता था. तब चार्ल्स बोरोमियो ने यह उपलब्धि हासिल की थी.

यह एशियाई खेलों में केवल दूसरा अवसर है जबकि भारतीय एथलीट 800 मीटर दौड़ में पहले दो स्थानों पर रहे. उनसे पहले नयी दिल्ली में 1951 में पहले एशियाई खेलों में रंजीत सिंह और कुलवंत सिंह ने यह कारनामा किया था.

सेना के अमरीश कुमार से कोचिंग लेने वाले मंजीत ने एक मिनट 46.24 सेकेंड के अपने पिछले सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन में सुधार किया जो उन्होंने गुवाहाटी में राष्ट्रीय चैंपियनशिप में किया था.

कोई भी मंजीत को स्वर्ण पदक का दावेदार नहीं मान रहा था लेकिन उन्होंने कहा कि वह खुद को साबित करने के लिये प्रतिबद्ध थे.

जींद में रहने वाले मंजीत ने कहा, ‘‘मैंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में अपनी दौड़ के वीडियो देखे और गलतियों का आकलन किया. मैं अपने प्रदर्शन में सुधार करने के लिये प्रेरित था.’’

यह पहला अवसर नहीं है जबकि मंजीत ने जानसन को पीछे छोड़ा. इससे पहले पुणे में 2013 में भी उन्होंने केरल के एथलीट को हराया था.

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