भारत को 3 ओलंपिक खेलों में स्वर्ण पदक दिलाने वाले 'हौकी के जादूगर' मेजर ध्यानचंद का आज (29 अगस्त) को 114वां जन्मदिन है. उनके सम्मान में ही 29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में भी मनाया जाता है. इस दिन राष्ट्रपति, राजीव गांधी खेल रत्न, अर्जुन और द्रोणाचार्य पुरस्कार से खिलाड़ियों को सम्मानित करते हैं.

'हौकी के जादूगर' के 114वें जन्मदिवस पर आइए एक नजर डालते हैं, उनसे जुड़े कुछ दिलचस्प बातों पर :

- ध्यानचंद ने 16 साल की उम्र में भारतीय सेना ज्वाइन कर ली थी. इसी समय उन्होंने हौकी खेलना भी शुरू किया. ध्यानचंद ब्रिटिश आर्मी में लांस नायक थे. उनके बेहतरीन खेल प्रदर्शन को देखते हुए ब्रिटिश गवर्मेंट ने उन्हें मेजर बनाया था.

- 23 वर्ष की उम्र में ध्यानचंद 1928 के एम्सटर्डम ओलंपिक में पहली बार हिस्सा लिया. यहां चार मैचों में भारतीय टीम ने 23 गोल किए. ध्यानचंद 1928 के एम्स्टर्डम ओलंपिक में सबसे ज्यादा गोल (14) करने वाले खिलाड़ी थे. भारत की जीत पर एक रिपोर्ट में कहा गया, यह हौकी का खेल नहीं बल्कि एक जादू है.

- एक बार ध्यान चंद एक मैच में कोई भी गोल नहीं कर पाए. उन्होंने तर्क दिया कि गोल पोस्ट छोटा है. उस वक्त हर व्यक्ति चकित रह गया जब गोल पोस्ट को नापा गया और वह अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुरूप नहीं पाया गया.

- ध्यानचंद ने भारत को अनेक यादगार जीत दिलवाईं, लेकिन वह अपना बेस्ट मैच 1933 में बेईघटन कप फाइनल में कोलकाता कस्टम्स और झांसी हीरोज के बीच हुए मैच को बताते थे.

- 1932 के ओलंपिक में भारत ने अमेरिका को 24-1 से, जापान को 11-1 से हराया. ध्यान चंद ने 12 गोल किए जबकि उनके भाई रूप सिंह ने 35 में से 13 गोल किए. इसके बाद दोनों भाइयों को हौकी ट्वीन्स कहा गया.

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