अपने पहले ही एशियाई खेलों में कांस्य पदक जीतने वाली भारत की महिला पहलवान दिव्या काकरान के पिता अपनी बेटी की सफलता से बेहद खुश हैं. उन्होंने बेटी के पदक जीतने के बाद कहा है कि उनकी बेटी ने चोटिल होने के बावजूद पदक जीता है. दिव्या ने कांस्य पदक के मैच में चीनी ताइपे की चेन वेनलिंग को 10-0 से तकनीकी दक्षता के आधार पर मुकाबला जीत अपने पहले ही एशियाई खेलों में पदक जीता. दिव्या को मंगोलिया की पहलवान तुमेनटसेटसेग शारखु ने क्वार्टर फाइनल में 11-1 से मात दी थी.

क्वार्टर फाइनल में हार के बाद दिव्या का स्वर्ण जीतने का सपना टूट गया था, लेकिन उन्हें कांस्य पदक का मैच खेलने का मौका मिला जहां उन्होंने बाजी मारी. दिव्या ने इस मौके को पूरी तरह से भुनाया और भारत की झोली में पदक डाला. दिव्या के पदक जीतने के कुछ देर बाद उनके पिता सूरज पहलवान ने आईएएनएस से फोन पर कहा, “बहुत खुश हैं. जूनियर एशियन चैम्पियनशिप में भी दिव्या ने पदक जीता था. उससे पहले राष्ट्रमंडल खेलों में भी दिव्या पदक जीत कर आई थी और अब एशियाई खेलों में भी उसने पदक जीत लिया. हमें तो खुशी ही खुशी दे रहा है भगवान.”

सूरज ने कहा कि दिव्या से एक दिन पहले बात हुई थी उसने कहा था कि उसे चोट की परवाह नहीं है. उसके दिमाग में था कि यह खेल चार साल में एक बार आते हैं इसलिए वह इसका पूरा फायदा उठाना चाहती थी. सूरज ने कहा, “असल में उसे चोट भी लगी थी इसलिए हमें चिंता भी हो रही थी कि पता नहीं क्या होगा. उसके बाद सुशील कुमार और साक्षी मलिक जैसे खिलाड़ी हार गए थे तो हमें लगा पता नहीं क्या होगा. दिव्या बचपन में लड़कों के साथ दंगल किया करती थी. लड़की होने की वजह से जीतने पर दिव्या को ज्यादा पैसे मिला करते थे, जिससे उनका परिवार का गुजारा भी हो जाता.

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