पिछले दो हफ्तों में भारत ने दुनिया के दूसरे सबसे बड़े मल्टी स्पोर्टिंग आयोजन में जो कुछ भी हासिल किया उसने देश की अपेक्षाओं को पूरा किया और भविष्य के लिए एक नई उम्मीद जगाई. पिछले कॉमनवेल्थ गेम्स में अच्छे प्रदर्शन के बाद भारत ने इंडोनेशिया में एशियन गेम्स के इतिहास में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया.

खेलों के क्षेत्र में उत्कृष्टता की खोज में भारत ने महाद्वीप में कभी इतना अच्छा प्रदर्शन नहीं किया था जिसे ओलंपिक के बाद दूसरा सबसे बड़ा आयोजन माना जाता है. यहां तक कि भारत के पदक विजेताओं की यह उपलब्धि क्रिकेट प्रेमियों के देश में नया उत्साह भरेगी.

एथलेटिक्स : ट्रैक एंड फील्ड में भारत ने सबसे ज्यादा सफलताएं हासिल कीं, क्योंकि 15 स्वर्ण में से सात स्वर्ण एथलेटिक्स में ही आए. वह तेजिंदर पाल सिंह तूर थे जिन्होंने 20.75 मीटर तक गोला फेंककर रिकॉर्ड प्रदर्शन के साथ भारत को एथलेटिक्स में इस आयोजन का पहला स्वर्ण पदक दिलाया. इसके बाद पैरों में 12 अंगुलियों वाली स्वप्ना बर्मन हेप्टाथलन में देश को सुनहरी सफलता दिलाने वाली पहली भारतीय एथलीट बनीं. अनुभवी दुति चंद धमाकेदार प्रदर्शन के साथ ट्रैक पर लौटीं और पिछले 20 वर्षों में एशियन गेम्स की इस स्पर्धा में पदक जीतने वाली पहली भारतीय एथलीट बनीं. नीरज चोपड़ा भाला फेंक में स्वर्ण जीतने वाले पहले भारतीय बने और भारत की उम्मीदों पर खरे उतरे. मंजीत सिंह और जिंसन जॉनसन ने भी अपने साहसी खेल के साथ कुछ आंकड़े बदल दिए.

बैडमिंटन : साइना नेहवाल और पीवी सिंधू ने अपने अच्छे प्रदर्शन को एशियाड में भी जारी रखा और देश के 36 वर्षो से चले आ रहे व्यक्तिगत पदक के इंतजार को खत्म किया. सिंधू का रजत और साइना का कांस्य पदक भारतीय बैडमिंटन दल की उपलब्धियां रहीं.

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