अनिल कुंबले ने अपने 18 साल के करियर में कई बार भारतीय क्रिकेट के सामने ऐसे उदाहरण रखे, जिनसे हर नया क्रिकेटर प्रेरणा ले सकता है. कुंबले को क्रिकेट से कितना प्यार था और वह क्रिकेट के प्रति कितने ईमानदार थे यह उस वक्त पता चल गया था जब उन्होंने टूटे जबड़े के साथ खेला था.

कुंबले का वो शानदार प्रदर्शन कैसे कोई भूल सकता है जब उन्होंने दर्द को अनदेखा करते हुए चेहरे पर पट्टी बांधकर वेस्टइंडीज के खिलाफ गेंदबाजी की थी.

साल 2002 में भारत और वेस्टइंडीज के बीच एंटिगुआ में टेस्ट मैच खेला जा रहा था. मैच के दौरान मर्वन ढिल्लन की बाउंसर सीधे कुंबले के चेहरे पर आकर लगी और उनके जबड़े से खून बहने लगा. उन्हें मैदान से बाहर ले जाया गया. लेकिन पट्टी बंधवाकर कुंबले वापिस मैदान में आ गए और गेंदबाजी करने लगे.

जबड़े के दर्द को अनदेखा करके उन्होंने आराम ना करने का फैसला लेते हुए देश के लिए खेलना ज्यादा महत्वपूर्ण समझा और जबरदस्त प्रदर्शन दिया. कुंबले ने कुल 14 ओवर गेंदबाजी की और इस दौरान उन्होंने ब्रायन लारा का भी विकेट लिया. मैच के बाद जांच में पता चला कि कुंबले के जबड़े में फ्रैक्चर था.

पूर्व भारतीय क्रिकेटर और कप्तान कुंबले ने 1990 से लेकर 2008 तक लगातार 18 साल तक क्रिकेट खेला. कुंबले ने अपने करियर का पहला एक दिवसीय मैच 25 अप्रैल 1990 में श्रीलंका के खिलाफ खेला था. कुंबले ने अपना आखिरी एक दिवसीय मैच 19 मार्च 2007 में बरमूडा के खिलाफ खेला था.

टेस्ट क्रिकेट में कुंबले ने 9 अगस्त 1990 में पहला मैच इंग्लैंड के खिलाफ खेला था और आखिरी टेस्ट मैच 29 अक्टूबर 2008 में औस्ट्रेलिया के खिलाफ था. भारत की ओर से 500 विकेट लेने वाले वह पहले खिलाड़ी हैं. कुंबले ने टेस्ट क्रिकेट में कुल 619 विकेट लिए और वह तीसरे सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले खिलाड़ी हैं.

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