पूत के पाव पालने में दिख जातें हैं ये कहावत तो आपने सुनी ही होगी, लेकिन यह कई बार सच भी हो जाता है. कई बच्चे ऐसे होते हैं जिनकी प्रतिभा उनकी छोटी उम्र में ही दिख जाती है.

निशानेबाजी बच्चों का खेल नहीं होता है. धुआंधार तीरंदाज अक्सर यह बात कहते हैं. लेकिन आंध्र प्रदेश में एक पांच साल की बच्ची ने इस बात को सही साबित किया है. तीर कमान और निशाने लगाना उसके लिए खेल जैसे ही हैं. चेरूकुरी डौली शिवानी (5) विजयवाड़ा में अपने परिवार संग रहतीं हैं. उन्होंने बीते रविवार को निशानेबाजी में दो रिकौर्ड बनाए हैं. इन कारनामों के साथ उन्होंने अपना नाम इंडिया बुक औफ रिकौर्डस और एशियन बुक औफ रिकौर्डस में दर्ज कराया है.

 

उन्होंने पहले मौके में 11 मिनट और 19 सेकेंड्स में 10 मीटर की दूरी पर 103 तीर बतौर शौट्स चलाए. वहीं दूसरे रिकौर्ड के लिए उन्होंने 20 मीटर की दूरी पर पांच मिनट आठ सेकेंड्स में 36 तीर दागे. जिससे 360 में उसे 290 प्वौइंट्स हासिल हुए. शिवानी ये कारनामे करने से पहले भी निशानेबाजी में अपना जौहर दिखा चुकी हैं. साल 2015 में उन्होंने सबसे कम उम्र की भारतीय निशानेबाज बनने का रिकौर्ड बनाया था. तब उनकी उम्र महज तीन साल थी और उन्होंने पांच और सात मीटर की दूरी वाले गेम्स में 200 प्वौइंट्स अपने नाम किए थे.

 

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