मुंबई के कमला मिल कंपाउंड के टेरेस रेस्तरां 1 अबोव रेस्तरां, लंदन टैक्सी बार और मोजो पब में 28 दिसंबर रात 12 बजकर 10 मिनट पर जब आग लगी, तो दृश्य बड़ा भयावह था. बांस और प्लास्टिक के छप्पर होने की वजह से चारों तरफ आग की लपटें इतनी जल्दी फैली, कि लोगों को उससे निकलने का मौका ही नहीं मिला और उसमें 15 लोगों की जानें चली गयी, जिसमें 12 महिलाएं और 3 पुरुष हैं. कुछ लोग अभी भी जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे हैं. इस हादसे में 20 से 25 साल की उम्र वाली महिलाएं ही अधिक थी, जो अपने दोस्त का जन्मदिन मनाने वहां आई थी. कुछ महिलाएं अधिक उम्र की भी थी.

किसे पता था कि ये दिन उनके जीवन का आखिरी दिन होगा, आखिर ऐसे हादसे होते क्यों है? इसके जिम्मेदार कौन है आदि कई सवाल हैं. अपनी पीठ थपथपाने वाली सरकार आखिर ऐसे रेस्तराओं को परमिशन कैसे देती है? हादसे होने के बाद कार्यवाही की जाती है, पहले क्यों नहीं? इसका जवाब किसी के पास नहीं है. हर बार ऐसे हादसे होने के बाद ही जांच समिति बैठाई जाती है, जांच के आदेश दिए जाते हैं, पर होता कुछ नहीं.

जब ये हादसा कमला मिल कंपाउंड में हुआ और सभी लोग अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भाग रहे थे और रेस्तरां के मालिक और कर्मचारी नदारद थे. केवल दो चौकीदार महेश पांडुरंग साबले और सूरज गिरी ने अपनी जान हथेली पर रखकर 200 से 250 लोगों की जानें बचाई. केवल 20 से 25 मिनट में उन्होंने सबको नीचे उतारा. हालांकि इसे करते हुए उन्हें चोटें आई, पर उन दोनों ने इसकी परवाह नहीं की, उन्हें ऐसे बेबस लोगों की जान बचानी थी.

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