पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिला लखीमपुरखीरी के हैदराबाद थाने का एक गांव है सरकारगढ़. इसी
गांव में शराफत खां अपने परिवार के साथ रहते थे. वह खेतीकिसानी का काम करते थे. उन के परिवार में पत्नी नजमा के अलावा 6 बेटे और 3 बेटियां थीं. उन के 2 विवाहित बेटे शब्बन और चमन सऊदी अरब में काम करते थे. बाकी बेटे गांव में ही मेहनतमजदूरी करते थे. उन की सब से छोटी बेटी साबिया खातून काफी सुंदर थी. वह गोला गोकरननाथ कस्बे के एक कालेज से बीए कर रही थी.

थाना कोतवाली गोला के अंतर्गत गांव बहारगंज में लड्डन खां रहते थे, खेतीकिसानी करने वाले लड्डन के परिवार में पत्नी रजिया के अलावा 3 बेटे व 2 बेटियां थीं. लड्डन खां शराफत खां के बेटे शब्बन के ससुर थे. शब्बन की शादी लड्डन की बेटी से हुई थी. रिश्तेदारी होने की वजह से शब्बन का साला राजू उस के यहां आताजाता रहता था. इसी आनेजाने में उस की नजर शब्बन की बहन साबिया पर टिकी रहती थी. वह साबिया को चाहने लगा था. इसलिए वह उस से खूब बातें किया करता था.

धीरेधीरे साबिया का भी झुकाव उस की तरफ होने लगा था. साबिया के स्कूल जाने के टाइम पर वह गांव से बाहर मोटरसाइकिल लिए खड़ा रहता. साबिया के वहां पहुंचने पर वह उसे अपनी बाइक पर बैठा कर कालेज छोड़ने जाता और छुट्टी होने पर उसे गांव के बाहर छोड़ देता. इसी दरमियान दोनों और करीब आते गए. दोनों एक साथ घूमते और मस्ती करते थे.

एक दिन एक पार्क में बैठे हुए दोनों बतिया रहे थे, तभी राजू ने अपनी जेब से पैक की हुई एक छोटी सी डिब्बी निकाल कर साबिया के हाथ पर रख दी. साबिया के होंठ लरज उठे. उस की आंखें भी मासूमियत से राजू को निहार रही थीं. वह आहिस्ता से बोली, ‘‘क्या है इस में.’’

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...