24  मार्च, 2018 को राजस्थान के जिला चुरू के एडीजे जगदीश ज्याणी की अदालत में और दिन से ज्यादा भीड़ थी. इस की वजह यह थी कि उस दिन माननीय न्यायाधीश द्वारा एक बहुचर्चित मामले का फैसला सुनाया जाना था. फैसला सुनने की उत्सुकता में कोर्ट में वकीलों के अलावा आम लोग भी मौजूद थे.

कोर्ट रूम में मौजूद सभी को लग रहा था कि संतोष ने जिस तरह से अपने दोनों बच्चों की निर्दयतापूर्वक हत्या की थी, उसे देखते हुए उस निर्दयी औरत को फांसी की सजा तो होनी चाहिए. सभी लोग सजा को ले कर उत्सुक थे. आखिर ऐसा क्या मामला था कि संतोष को अपने जिगर के टुकड़ों 2 बेटों और एक बेटी की हत्या के लिए मजबूर होना पड़ा. यह जानने के लिए हमें घटना की पृष्ठभूमि में जाना पड़ेगा.

राजस्थान का एक जिला है चुरू. इसी जिले के थाना राजलदेसर के अंतर्गत आता है एक गांव हामूसर. इंद्रराम इसी गांव में रहता था, जो कबड्डी का खिलाड़ी था. बाद में उस की नौकरी भारतीय सेना में लग गई. उस की पोस्टिंग बरेली की जाट रेजीमेंट में थी. उस की शादी संतोष से हुई थी.

इंद्रराम से ब्याह कर संतोष जब ससुराल आई थी, तब वह बहुत खुश थी. सब कुछ ठीकठाक चल रहा था. पर धीरेधीरे संतोष का स्वभाव सामने आने लगा. उस ने घर में कलह करनी शुरू कर दी. वह सास, पति, देवर और अन्य पारिवारिक लोगों से लड़ाईझगड़ा करने लगी. बातबात पर गुस्सा हो जाती थी.

इंद्रराम सालभर में दोढाई महीने की छुट्टी पर घर आता था. मगर बीवी की कलह से घर में हर समय लड़ाई होती रहती थी. तब इंद्रराम को लगता कि अगर वह छुट्टी पर नहीं आता तो ठीक रहता. जैसेतैसे छुट्टियां काट कर वह अपनी ड्यूटी चला जाता. इसी तरह कई साल बीत गए और संतोष 2 बेटों और एक बेटी की मां बन गई.

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