उत्तर प्रदेश के मीरजापुर जिले में मीरजापुरइलाहाबाद मार्ग से सटा एक गांव है-महड़ौरा. विंध्यक्षेत्र की पहाड़ी से लगा यह गांव हरियाली के साथसाथ बहुत शांतिप्रिय गांवों में गिना जाता है. इसी गांव के रहने वाले बंसीलाल सरोज ने रेलवे की नौकरी से रिटायर होने के बाद बड़ा सा मकान बनवाया, जिस में वह अपने पूरे परिवार के साथ रहते थे.

उन के भरेपूरे परिवार में पत्नी, 2 बेटे, एक बेटी और बहू थी. गांव में बंसीलाल सरोज के पास खेती की जमीन थी, जिस पर उन का बड़ा बेटा रणजीत कुमार सरोज उर्फ बुलबुल सब्जी की खेती करता था. खेती के साथसाथ रणजीत अपने मामा के साथ मिल कर होटल भी चलाता था.

जबकि छोटा राकेश सरोज कानपुर में बिजली विभाग में नौकरी करता था. वह कानपुर में ही रहता था. महड़ौरा में 9-10 कमरों का अपना शानदार मकान होने के साथसाथ बंसीलाल के पास गांव से कुछ दूर सरोह भटेवरा में दूसरा मकान भी था.

रात में वह उसी मकान में सोया करते थे. बंसीलाल के परिवार की गाड़ी जिंदगी रूपी पटरी पर हंसीखुशी से चल रही थी. घर में किसी चीज की कमी नहीं थी. दोनों बेटे अपनेअपने पैरों पर खड़े हो चुके थे, जबकि वह खुद इतनी पेंशन पाते थे कि अकेले अपने दम पर पूरे परिवार का खर्च उठा सकते थे.

बड़ा बेटा रणजीत कुमार सुबह होने पर खेतों पर चला जाता था, फिर दोपहर में उसे वहां से होटल पर जाना होता था. जहां से वह रात में वापस लौटता था और खापी कर सो जाता था. यह उस की रोज की दिनचर्या थी. रणजीत की 3 बेटियां थीं. 10 साल की माया, 7 साल की क्षमा और 3 साल की स्वाति. वह अपनी बेटियों को दिलोजान से चाहता था और उन्हें बेटों की तरह प्यार करता था.

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