उत्तर प्रदेश में योगी सरकार बनने के बाद 20 मार्च, 2017 से फरवरी, 2018 तक तकरीबन 11 महीने में कई ऐनकाउंटर हो चुके हैं जिन में 43 तथाकथित अपराधी मारे गए हैं और तकरीबन डेढ़ हजार घायल हुए हैं.

कानून व्यवस्था को ठीक करने के नाम पर होने वाले इन ऐनकाउंटरों पर अब सवाल उठने लगे हैं. ऐसे ऐनकाउंटरों के तौरतरीके, पुलिस की कहानी, ऐनकाउंटर पीडि़तों के जख्मों वगैरह की जांचपड़ताल करने पर ऐसे सवालों का उठना लाजिमी भी है. सब से बड़ा सवाल तो यह है कि मुठभेड़ की जाती?है या हो जाती है?

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बयानों को देखें तो इस नतीजे पर पहुंचना मुश्किल नहीं है कि मुठभेड़ की जाती है और ऐसा तथाकथित अपराधियों की निशानदेही कर के होता है.

उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले में मुठभेड़ में छन्नू सोनकर, रामजी पासी, जयहिंद यादव और मुकेश राजभर मारे गए थे. उन के परिवार वालों और गांव वालों से मिलने के बाद जो तथ्य सामने आए हैं वे चिंता बढ़ाने वाले हैं.

छन्नू सोनकर को अमरूद के बाग से पुलिस वाले ले गए और जब वह देर रात तक घर नहीं आया तो उस के परिवार वालों ने उस के मोबाइल पर फोन किया. पता चला कि वह जहानागंज थाने में है.

पिता झब्बू सोनकर और उस की बहनों ने बताया कि अगली सुबह 2 पुलिस वाले उन के घर पहुंचे और बताया कि छन्नू का जिला अस्पताल में इलाज चल रहा है. वहां पहुंचने के बाद परिवार वालों को मुठभेड़ में उस के मारे जाने के बारे में पता चला.

मुकेश राजभर की मां ने बताया कि उस का बेटा कानपुर में मजदूरी करता था. 15 दिन पहले पुलिस वाले उस के घर गए थे, गालीगलौज और मारपीट की थी और मुकेश का कानपुर का पता मांगा था.

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