शाम के 7 बज रहे थे. मायानगरी मुंबई के अंधेरी (वेस्ट) इलाके में स्थित एक मशहूर फिल्म प्रोड्यूसर के औफिस में औडिशन चल रहा था. औडिशन प्रोड्यूसर और डायरेक्टर मिल कर कर रहे थे. एकएक कर के कई लड़कियां औडिशन दे कर जा चुकी थीं. औडिशन के द्वारा एक मध्यम बजट वाली फिल्म की हीरोइन की खोज हो रही थी.

कई लड़कियों के बाद एक और लड़की औडिशन के लिए अंदर आई. इशारा मिलने के बाद वह कुरसी पर बैठ गई. डायरेक्टर ने लड़की को ऊपर से नीचे तक देखा. लड़की खूबसूरत थी. आंखें बिलकुल बोलती सी. चेहरा बिलकुल फ्रैश. उच्चारण में विविधता. उच की हिंदी भी बेहतरीन थी. यही नहीं हिंदी के साथ वह खनकदार उर्दू भी जहीन अंदाज में बोल लेती थी.

डायरेक्टर ने बोलने के लिए उसे कुछ पंक्तियां दीं. लड़की ने पूरी भावभंगिमाओं के साथ उन पंक्तियों को बोला. सुन कर प्रोड्यूसर के मुंह से अनायास निकल गया, ‘वाव’. मतलब लड़की का उच्चारण उसे पसंद आया. उस ने थंबअप किया. लड़की खुश थी. तभी प्रोड्यूसर ने उस से बातचीत करनी शुरू की.

‘‘तुम ने बहुत अच्छा डायलौग बोला.’’

‘‘शुक्रिया सर.’’

‘‘तुम क्याक्या कर सकती हो?’’ यह सवाल डायरेक्टर का था.

‘‘सर, मैं सब कुछ कर सकती हूं. मैं ने सब कुछ बहुत मेहनत और बारीकी से सीखा है.’’ लड़की के जवाब में उत्साह के साथ आत्मविश्वास था.

‘‘सब कुछ का मतलब क्या?’’ प्रोड्यूसर ने जवाब में स्पष्टता चाही.

‘‘सर, मैं एक्टिंग कर सकती हूं. डांस कर सकती हूं. थोड़ाबहुत गा भी सकती हूं.’’

‘‘और क्या कर सकती हो?’’ डायरेक्टर ने प्रोड्यूसर के सवाल को आगे बढ़ाया.

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