सपने उन्हीं के पूरे होते हैं जिन के हौसलों में जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है.
शारीरिक रूप से 60 प्रतिशत डिसेबल फरीदाबाद की ए. नलिनी ने अपने हौसलों की उड़ान भर कर यह कर दिखाया.
नलिनी जब बैडमिंटन कोर्ट में उतरती हैं तो विरोधियों को पसीना छुड़ा देती हैं. देश के लिए इस जांबाज युवती ने ढाई दरजन से ज्यादा मैडल जीत कर दिखा दिया कि यदि मन में जब जीतना ठान लिया तो जीत निश्चित होगी. उसे कोई भी ताकत रोक नहीं सकती बल्कि सारी कायनात मन में ठाने गए कार्य को पूरा करने में जुट जाती है.
नलिनी ने बताया कि अपने 4 भाईबहनों में वह सब से छोटी हैं. वह 3 साल की थीं तभी उन के सीधे पैर में पोलियो हो गया था. तब पूरे पैर की ताकत खत्म हो गई थी. यह परिवार वालों के लिए भी शौकिंग वाली बात थी. लेकिन उन के पिता आर. अरुणाचलम और मां ए. कस्तूरी ने कभी भी नलिनी को इस बात का अहसास नहीं होने दिया कि वह किसी भी तरह से कमजोर है.
मातापिता हमेशा उत्साह बढ़ाते रहे. दोनों भाई नलिनी को स्कूल छोड़ कर आते थे. क्योंकि वह खुद से चल भी नहीं पाती थीं. वह मन लगा कर पढ़ने लगीं. उम्र के हिसाब से नलिनी की लंबाई भी नहीं बढ़ रही थी. यानी वह 4 फुट से ज्यादा नहीं बढ़ सकीं.
इस से मातापिता और ज्यादा चिंतित हुए. स्कूल और बाहर उन का मजाक उड़ाया जाने लगा. डाक्टरों ने नलिनी को 60 प्रतिशत डिसेबल बताया था. ऐसे में नलिनी बहुत परेशान रहने लगीं क्योंकि अभी तो उन के सामने पूरी जिंदगी पड़ी थी.