सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक से डाटा लीक होने की खबर के बाद भारत सरकार ने फेसबुक के सीईओ मार्क जकरबर्ग को एक नोटिस भेजा था. आईटी मंत्रालय के इस नोटिस के जवाब में जकरबर्ग ने 7 दिन की मियाद खत्म होने का इंतजार न कर के 3 अप्रैल को ही जवाब दे दिया था. यह जवाब था— मोदी सेठ, जिन के घर शीशे के बने होते हैं वो दूसरों के घर पर पत्थर नहीं फेंका करते. पहले अपने यहां के सीबीएसई पेपर संभाल लो, फिर मुझ से डाटा लीक पर जवाब लेना.
हर कोई जानता है कि बी.आर. चोपड़ा निर्देशित अपने वक्त की हिट फिल्म ‘वक्त’ में यह डायलौग अक्खड़ स्वभाव के अभिनेता राजकुमार ने खलनायक रहमान के सामने बोला था. दरअसल, यह सोशल मीडिया पर हुआ अभिजात्य किस्म का हंसीमजाक था, जिस ने एक गंभीर संदेश दिया था कि लीक के मामले में हम पहले खुद के गिरहबान में झांक लें फिर किसी और पर अंगुली उठाना सही है.
सीबीएसई पेपर लीक मामले को फिल्मी अंदाज में ही समझने की कोशिश करें तो 70 के दशक के हिंदी फिल्मों के बैंक डकैती के वे दृश्य सहज याद हो आते हैं, जिन में खलनायक बैंक लूटने के लिए बैंक में घुस कर धांयधांय नहीं करता था, बल्कि वह उस वैन के नीचे छिप जाता था, जिस में नकदी ले जाई जाती थी.
जैसे ही वैन स्टार्ट होती थी, खलनायक नीचे से सेंध लगा कर तिजोरी तक पहुंचता था और वैन में रखी तिजोरी पर ऐसे हाथ साफ करता था कि किसी को कानोंकान खबर तक नहीं होती थी. वैन का ड्राइवर वैन चलाता रहता था और सिक्योरिटी गार्ड हाथ में राइफल लिए यूं ही इधरउधर ताकते हुए सतर्कता दिखाने की एक्टिंग करते रहते थे. फिर कोई पुल या रेलवे फाटक आता था, जहां वैन के रुकते ही खलनायक नीचे के रास्ते से ही छूमंतर हो जाता था.